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Autism क्या है? जानिए लक्षण, उपाय और कारण? | What is Autism in Hindi Its Symptoms, Causes, And Best Treatments In Hindi?

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What is Autism In Hindi ?Table Of Content

Autism क्या है? जानिए लक्षण, उपाय और कारण? | What is Autism in Hindi Its Symptoms, Causes, And Best Treatments In Hindi?

 Autism न्यूरो developmental disorder है| “Autism” बीमारी में बच्चे का मानसिक विकास पूर्ण रूप से नहीं हो पाता है| Autism को हम सोशल कम्युनिकेशन डिसऑर्डर भी कहते हैं l इसमें बच्चा सोशल रूप से अट्रैक्ट नहीं कर पाता है| Autism एक तरह की लैंग्वेज कम्युनिकेशन और बेहेवियर से रिलेटेड प्रॉब्लम है, जो आजकल काफी बढ़ रही है| ऐसे में बच्चो को कम्युनिकेशन कर पाने में डिफिकल्टी होती है|

यदि आपको जानना है, कि आटिज्म होने पर बच्चे कैसे दिखाई देते हैं, तो आप बर्फी Movie में प्रियंका चोपड़ा का किरदार दे सकते हैं l My name is khan Movie में शाहरुख़ खान को देख सकते हैं| इस तरीके का behaviour Autism के  बच्चे का होता है|

इस तरह के बच्चे या व्यक्ति मे तीन चीजे आपको देखने को मिलती है l उसके अंदर कम्युनिकेशंस स्किल्स आपको देखने को नहीं मिलती है |बच्चे की लैंग्वेज तथा बातचीत करने का तरीका में प्रॉब्लम होती है | बच्चे की लर्निंग एबिलिटी बहुत कम हो जाती है और कम्युनिकेशन स्किल्स में फर्क पड़ जाता है|

इस तरह के बच्चे eye to eye कांटेक्ट नहीं कर पाते हैं| ऑटिज्म से ग्रस्त व्यक्ति बाकी लोगों से अलग दिखाई देते हैं|  ऑटिज्म से ग्रस्त रोगी को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है| आटिज्म रोग से ग्रस्त व्यक्ति सभी लोगों से अलग सुनते देखते तथा महसूस करते हैं l यदि किसी को  ऑटिस्टिक है , तो उसको पूरे जीवन ऑटिज्म रहेगा| वह कभी भी ठीक नहीं हो सकता है|

यह एक ऐसा रोग है जो व्यक्ति तथा बच्चे के समाजिक व्यवहार को और संपर्क को प्रभावित करता है| इस रोगी का बच्चा या व्यक्ति एक ही काम को बार-बार दोहराता रहता है|

What Are The Symptoms Of Autism in Hindi? Autism के क्या लक्षण हैं|

Autism के बच्चे भावनात्मक तौर पर अपने मां-बाप से कनेक्ट नहीं हो पाते हैं l अक्सर मां-बाप यह कहते हैं, कि मेरा बच्चा मेरी आंख में आंख मिला कर के बातें नहीं कर रहा है या मुझ से कनेक्ट नहीं कर पा रहा है l

पेरेंट्स कंप्लेन करते है, की वह बच्चे के साथ कनेक्ट नहीं हो पाते है, ऐसे बच्चे ज्यादातर अकेले में रहना पसंद करते हैं l ऐसे बच्चों को मां-बाप रहे या ना रहे उन्हें फर्क नहीं पड़ता है|

ऐसे बच्चे अपने कामों में ही मगन रहते हैं तथा ऐसे बच्चे दूसरे बच्चों के साथ भी खेलना पसंद नहीं करते हैं और ना ही वे खेलना चाहते है |

इस तरह के बच्चे भावनात्मक तौर पर दूसरों से और अपनी मां से और लोगों से कनेक्ट नहीं हो पाते हैं जिसकी वजह से पेरेंट्स अक्सर ऐसा बताते है, कि यह हमारी फीलिंग को नहीं समझ पाता है |

इस बीमारी से ग्रस्त बच्चे किसी एक साउंड पर या किसी को देखकर, किसी आवाज को सुनकर जैसे स्कूटर की आवाज सुनकर, गाड़ी की आवाज सुनकर प्रभावित होते हैं| उनकी सभी एक्टिविटी अबनॉर्मल होती है|

1)  दूसरों को अपनी बात समझाने में कठिनाई का सामना करना|

2)  ऐसे बच्चे कुछ ही शब्दो तथा वाक्य को बार-बार दोहराते रहते हैं|

3)  ऐसे बच्चों को दूसरे से बातें करना बहुत कठिन लगता है|

4)  गले से लगाने पर विरोध करना|

5)  बच्चों के साथ ना खेल कर अकेले में व्यस्त रहना अकेले खेलना|

6)  असामान्य तरीके से बोलना तथा बात को ना समझना

7)  किसी भी प्रकार का दर्द महसूस ना करना तथा रोशनी किसी भी प्रकार की आवाज तथा स्पर्श के प्रति असामान्य रूप से संवेदनशील होना

8)  खुद को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियां करना जिसे हिलना, गोल गोल घूमना आदि |

9)  अलग बैठे रहना तथा अपने में व्यस्त रहना|

10)  कुछ नियमित पदार्थों को ही खाना तथा भोजन की अजीब पसंद होना|

11)  सरल प्रशनो तथा दिशाओ को समझने में असमर्थ |

12)  अपने नाम को बताने में असमर्थ रहना और वार्तालाप को शुरू करने में असमर्थ रहना|

What Are The Types of Autism in hindi –  ऑटिज्म के कितने प्रकार होते हैं?

 Autism “ऑटिज्म” तीन प्रकार का होता है|

1) Classic Autism( Autistic disorder )  ऑटिस्टिक डिसऑर्डर-

जब लोग यह शब्द सुनते है तो अधिकांश लोग ऑटिज्म के बारे में सोचते हैं तथा आमतौर पर ऐसे रोग से ग्रस्त बच्चे असामान्य तरीके से बोलते हैं| सामाजिक चुनौतियों का सामना करते हैं| असामान्य व्यवहार करते हैं, तो सबसे अलग काम करने की रूचि भी रखते हैं|

2) Asperger Syndrome –  (एस्पर्जर सिंड्रोम)

एस्पर्जर सिंड्रोम लोगों में अधिकांश तौर पर ऑटिस्टिक डिसऑर्डर के कुछ लक्षण होते हैं उन्हें सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है | उनका व्यवहार असमान्य भी हो सकता है तथा उनकी रूचि भी असामान्य हो सकती है l उन्हें भाषा संबंधित या बौद्धिक समस्याएं नहीं होती हैं|

3) Pevasive development disorder ( परवेसिव डेवलपमेंटल विकास)

ऐसे लोगों में आमतौर पर ऑटिस्टिक डिसऑर्डर वाले लोगों की तुलना में लक्षण बहुत कम पाए जाते हैं तथा उनकी तीव्रता बहुत कम होती है| लक्षण केवल सामाजिक और संचार की चुनौतियों का कारण बन सकते हैं|

What are the Causes Of Autism in hindi  – ऑटिज्म के कारण

इस विकार की तीव्रता हर किसी में अलग-अलग प्रकार की होती है तथा इसका कोई एक कारण नहीं माना जा सकता है| इस रोग के बहुत से कारण हो सकते हैं|

1)  अनुवांशिक समस्याएं – Heredity Problems

जैसा कि आप जानते हैं कि यह रोग बच्चों में ज्यादा पाया जाता है ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार में बहुत अलग-अलग प्रकार के जिन शामिल होते हैं| कई बच्चों में आटिज्म अनुवांशिक विकार से संबंधित हो सकता है तथा कुछ मानसिक समस्याएं परिवारिक भी हो सकती हैं जबकि अन्य किसी को अपने आप भी हो सकती हैं|

2) पर्यावरणीय कारक – Environmental Factors

वैज्ञानिक तथा शोधकर्ता यह खोज में लगे हुए हैं, कि क्या यह वायरल है, या यह किसी प्रकार का संक्रमण है या यह रोग गर्भावस्था के दौरान होने वाली समस्याओं के कारण है या प्रदूषित वातावरण की वजह से यह रोग हो सकता हैं l क्या कारण है जो आटिज्म स्पेक्ट्रम विकार की वजह बन सकते हैं|

Autism के मुख्य कारक क्या है -What Are The Main Factors Of Autism

Autism (आटिज्म) एक ऐसा रोग है जो किसी भी प्रकार के बच्चे को हो सकता है l नीचे लिखे निम्न कारणों के कारण जोखिम बढ़ जाता है|

1)  कुछ ऐसे मेडिकल समस्याओं वाले बच्चे हैं जिनको ऑटिज्म होने का खतरा होता है |

2)  जो बच्चे समय से पहले पैदा होते हैं उनमे यह रोग होने का भी खतरा बढ़ जाता है तथा जो बच्चे 26 सप्ताह से पहले पैदा होते हैं उन बच्चों को भी ऑटिज्म होने का खतरा रहता है|

3)  ज्यादा उम्र के माता पिता से पैदा हुए बच्चे को भी आटिज्म होने का खतरा रहता हैं|

4)  Autism होने का एक मुख्य कारक यह भी हो सकता है, कि यदि परिवार में कोई बच्चा ऑटिज्म जैसी बीमारी से ग्रस्त है तो उसके कारण उसके आसपास के दूसरे बच्चों को भी आटिज्म होने का खतरा बना रहता है|

5)  लड़कियों के मुकाबले लड़कों को आटिज्म जैसा रोग होने की संभावना चार गुना ज्यादा होती है|

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How to do the treatment Of Autism in Hindi – ऑटिज्म का इलाज कैसे करें?

ऑटिज्म का इलाज आसान नहीं है ऐसी स्थिति में डॉक्टर बच्चे की स्थिति और लक्षण को देखते हुए ही इलाज शुरू करता है|  इस रोग से ग्रस्त बच्चे के कई तरह से इलाज किए जाते हैं जैसे बिहेवियर थेरेपी दी जाती है, स्पीच थेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी आदि दी जाती है

  • Behaviour theraphy
  • Speech theraphy
  • Acupectional theraphy |

बेहेवियर थेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी, स्पीच थेरेपी इन तीनों थेरेपी का मुख्य उद्देश्य यह होता है, कि बच्चे से उसकी भाषा में बात की जाए तथा उसके दिमाग को पूरी तरह से जागृत किया जाए |

इन थेरपि से बच्चे काफी हद तक ठीक हो जाते हैं तथा इस थेरेपी का ठीक ढंग से उपयोग करने से बच्चा अजीब हरकतें करना कम कर देता है और बच्चों के साथ खेल में भी शामिल होने लगता है|

बच्चों के साथ खेलने में भी उसकी रुचि बढ़ती हैं| इस रोग से ग्रस्त बच्चे की यह आदत होती है, कि वह बार-बार एक ही बात को दोहराते रहते हैं परंतु इन थेरपि के जरिए बच्चों की यह आदते हद तक कम हो जाती हैं| ऐसे में बच्चे काम को सही ढंग से करने लग जाते हैं|

ऐसी स्थिति में डॉक्टर द्वारा माता-पिता को यह सलाह दी जाती है, कि वे बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा टाइम बिताये तथा उनकी भावनाओं को समझे और उनसे बातें करें|

ऑटिज्म का मुख्य कारण यह भी हो सकता है, की अगर गर्भवती महिलाएं अपनी मर्जी से कुछ दवाइयां लेती है, तो उनके साइड इफेक्ट के कारण भी बच्चे इस बीमारी का शिकार हो सकते हैं |

image sourcehttps://www.canva.com/

Autism Complications In Hindi

ऑटिज्म की जटिलताए बहुत सी हो सकती हैं|

मानसिक स्वास्थ्य – 

ऑटिज्म होने पर डिप्रेशन की समस्या और  मनोदशा में बदलाव, चिंता आदि समस्याओ  का खतरा हो सकता हैं|

भावनात्मक समस्या –

Autism से ग्रस्त रोगी को संवेदनशील हो जाते हैं किसी भी बात पर उत्तेजित हो जाते हैं खुद से ही हंसते लगते है और खुद से ही रोने लगते हैं| एक रोशनी भी इनके लिए बेचैनी पैदा कर देती है

टयूमर जैसी समस्या –

टयूबर्स स्केलेरोसिस एक अलग प्रकार की बीमारी है जो आपकी अंगो को बढ़ने में ट्यूमर को  विकसित करता है |

Main Home Remedies for Autism in hindi –  ऑटिज्म के लिए कुछ घरेलू उपाय

Autism से ग्रस्त रोगी को ये जरूरी होता है, कि उसे खान-पान का ध्यान रखना चाहिए तथा जिन पदार्थों में उसकी रुचि है उन पदार्थो को तो खिलाना ही चाहिए l इसके अलावा उन्हें मैग्नीशियम युक्त आहार तथा विटामिन डी से भरपूर डाइट और फिश आयल तथा आवश्यक तेल खाने की सलाह दी जाती है|

जिसे यह रोग हो जाता है उसे चीनी, सोया आदि से बचने की सलाह दी जाती हैं|  रोगी से बातें करनी चाहिए तथा उसकी सोच सकारात्मक करने तथा उसकी भाषण चिकित्सा का घर पर ही अभ्यास कराना चाहिए|

इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति को ओमेगा 3 फैटी एसिड वाला खाना मिलना चाहिए l इसी से उनके मस्तिष्क के विकास को बढ़ावा मिलता है| मस्तिष्क का विकास का अच्छी प्रकार से होता है|

मेलाटोनिन की डोज – Autism रोग में रोगी को नींद नहीं आती है तथा आराम करने में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है | नियमित मेलाटोनिन की डोज़ लेने से रोगी को ज्यादा नींद आती है तथा उसको विश्राम करने में भी मदद मिल सकती है|

Autism  से ग्रस्त रोगी में कैल्शियम की कमी हो जाती है l ऐसे में रोगी को डेरी वाले प्रोडक्ट का सेवन करने की सलाह दी जाती है  क्योंकि डेयरी के उत्पाद कैल्शियम से भरपूर होते हैं|

Autism वाले रोगी को मैग्नीशियम युक्त पदार्थों का सेवन करना चाहिए तथा आटिज्म के रोगी में एकाग्रता और चिंता जैसी समस्याएं हो जाती हैं| मैग्नीशियम युक्त खाना आटिज्म रोगों में बहुत बेहतर सिद्ध होता है|

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