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Starting Pregnancy Changes : गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में महिलाओं के शरीर में होते हैं काफी बदलाव|What changes happen in women’s body during early pregnancy

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Starting Pregnancy Changes:गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में महिलाओं के शरीर में होते हैं काफी बदलाव

जब महिलाएं गर्भवती होती हैं तो गर्भवती होने पर उनके शरीर में काफी बदलाव होने शुरू हो जाते हैं। जब महिलाएं गर्भवती होती हैं तो गर्भवती होने के 5 से 10 दिन में ही बहुत से ऐसे बदलाव देखने को मिलते हैं जिनसे गर्भावस्था का पता भी लगाया जा सकता हैं, क्योंकि जब महिला गर्भवती हो जाती है तो धीरे-धीरे उसके शरीर में हार्मोन बदलना शुरू हो जाते हैं पहले तो महिला के हार्मोन अलग होते हैं, लेकिन गर्भावस्था के दौरान वह बिल्कुल बदल जाते हैं ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हार्मोन बदलने की वजह से ही बच्चे का विकास होता हैं।

हार्मोन बदलने के अतिरिक्त भी महिलाओं के शरीर में काफी ज्यादा बदलाव देखने को मिलते हैं जो कि प्रकृति होते हैं और गर्भावस्था के समय यह बदलाव हर एक महिला के शरीर में देखने को मिलते हैं। महिलाओं को अपने शरीर में होने वाले इन बदलावों के बारे में पता होना चाहिए, क्योंकि बहुत सी महिलाएं गर्भावस्था को लेकर पहले से ही काफी चिंतित होती हैं, इसलिए इस प्रकार की महिलाओं को यह पता होना जरूरी है कि गर्भावस्था शुरुआती चरण में उनके शरीर में कौन-कौन से बदलाव होते हैं।

आज हम इस पोस्ट के माध्यम से यही सब जानने वाले हैं कि What Changes Happen In First Stage Of Pregnancy In Hindi तथा Starting Pregnancy Changes In Women In Hindi के बारे में भी जानेंगे।

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Starting Pregnancy Changes

महिलाओं में गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में होने वाले बदलाव |Changes that occur in early pregnancy in women

जब महिलाएं गर्भवती होती हैं तो उस समय उनके शरीर में बहुत से ऐसे बदलाव दिखने शुरू हो जाते हैं जिसे हम गर्भावस्था का अंदाजा आसानी से लगा सकते हैं। बहुत सी महिलाएं ऐसी भी होती हैं जो गर्भवती होना नहीं चाहती लेकिन फिर भी गर्भवती हो जाती हैं, इस प्रकार की महिलाओं को अपने शरीर में होने वाले बदलाव के बारे में पता होना चाहिए क्योंकि यह इस प्रकार के बदलाव होते हैं जो शुरुआती दिनों में ही दिख जाते हैं।

1. स्तनों का भारी होना

जब महिलाएं गर्भवती हो जाती हैं तो शुरुआत में महिलाओं को अपने स्तनों में भारीपन महसूस होने लगता हैं, क्योंकि गर्भावस्था के शुरुआती चरण में शरीर में बदलाव होने शुरू हो जाते हैं और इसी कारण शरीर के हार्मोन भी बदल रहे होते हैं। बहुत ही महिलाओं को गर्भधारण करने के 8 से 10 दिनों के अंदर ही अपने स्तनों में सूजन या भारीपन महसूस होने लगता है या फिर जरा सा ही हाथ लगाने पर दोनों में काफी ज्यादा दर्द होता हैं। यदि किसी महिला को पीरियड ना आने के पश्चात इस प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं, तो वह इस बात को मान सकती हैं कि वह गर्भवती हो गई हैं क्योंकि यह गर्भावस्था का पक्का लक्षण है जो ज्यादातर महिलाओं में दिखता हैं।

बहुत-सी महिलाओं के शरीर में तो यह लक्षण कुछ ज्यादा ही गंभीर रूप से हुई दिख सकता हैं। इसका मतलब यह होगा कि उन्हें सिर्फ हल्का स्पर्श करने पर ही काफी ज्यादा दर्द होगा इस प्रकार के लक्षणों को देखकर घबराना नहीं चाहिए, क्योंकि गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर के द्वारा 1 से 2 दिन में इन लक्षणों को ठीक किया जा सकता हैं।

2. निप्पल के रंग में परिवर्तन

गर्भावस्था के शुरुआती दौर में महिलाओं के निप्पल में बदलाव देखने को मिलते हैं जब महिला गर्भधारण करती हैं, तो उस समय उनके शरीर में हार्मोन बदलते हैं और उसी वजह से महिलाओं के निप्पल का रंग गहरा हो जाता है या फिर गाड़ी भूरे कलर का हो जाता हैं। बहुत सी महिलाएं तो इस लक्षण को देखकर घबरा भी जाती हैं क्योंकि वह इतना नहीं सोचती कि वें गर्भवती भी हो सकती हैं।

गर्भावस्था के समय महिलाओं के शरीर में हार्मोन में परिवर्तन होने के कारण Melanocytes भी काफी प्रभावित होती है और इसी के कारण निप्पल में उपस्थित कोशिकाओं पर काफी प्रभाव पड़ता है जिसकी वजह से महिलाओं के निप्पल का रंग गहरा हो जाता हैं। महिलाओं को इस प्रकार का लक्षण देखकर बिल्कुल भी घबराने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह लक्षण गर्भावस्था के शुरुआती चरण में हर एक महिलाओं में ही दिखाई देते हैं।

3. उल्टी करने का मन होना

गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में महिलाओं को बार बार उल्टी भी आती हैं या फिर उल्टी करने का मन करता हैं, क्योंकि शरीर में काफी ज्यादा बदलाव होते हैं और इन्हीं बदलावों के कारण महिलाओं को उल्टी या मतली जैसा महसूस होता हैं। बहुत-सी महिलाओं को तो यह लक्षण इतना ज्यादा दिखाई देता है कि वह ढंग से खाना भी नहीं खा पाती। वैसे तो यह लक्षण पीरियड मिस होने के 8 से 10 दिनों तक ही दिखाई देता है लेकिन कुछ महिलाओं में यह लक्षण गंभीर रूप से भी दिखाई दे सकते हैं, तो उस परिस्थिति में महिलाओं को बिना देर किए gynecologist doctor की सलाह ले लेनी चाहिए।

4. सुबह उठकर कमजोरी महसूस होना

ज्यादातर महिलाओं को तो सुबह के समय काफी ज्यादा कमजोरी महसूस होती है क्योंकि जब महिलाएं सो कर उठती है तो तब उन्हें अपने शरीर में और भी ज्यादा बदलाव महसूस होते हैं, क्योंकि महिलाओं के शरीर में ज्यादातर परिवर्तन रात के समय सोते वक्त ही होते हैं और इसीलिए जब मैं सुबह सो कर उठती है तो उन्हें काफी ज्यादा थकान भी महसूस होती है अगर किसी भी महिला को सुबह उठते ही थकान काफी ज्यादा महसूस हो रही हैं, तो उस परिस्थिति में महिलाओं को

थोड़े दिन इंतजार करना चाहिए और सुबह खाली पेट पानी पीना चाहिए क्योंकि पानी पीने से पूरा दिन शरीर ऊर्जावान बना रहता हैं। इस प्रकार की सुबह की थकान को डॉक्टरों की भाषा में मॉर्निंग सिकनेस ( Morning Sickness ) भी कहा जाता हैं जो कि हर एक गर्भवती में दिखाई देने वाला सामान्य सा लक्षण हैं।

5. बार बार पेशाब आना

जब महिलाएं गर्भवती होती हैं तो गर्भवती होने पर 3 से 4 दिनों में ही उन्हें सबसे पहले यह लक्षण दिखाई देना शुरू कर देता है कि उन्हें बार-बार पेशाब जाना पड़ता हैं। जब महिलाएं गर्भवती होती हैं तो उन्हें सामान्य महिलाओं की अपेक्षा काफी ज्यादा पेशाब आता है या हम डॉक्टरों की भाषा में कहीं तो गर्भावस्था की शुरुआत में महिलाओं को पेशाब रुक-रुक कर आता हैं, इसीलिए उन्हें बार-बार पेशाब जाना पड़ता हैं।

इसके अतिरिक्त जब महिलाओं के गर्भ में पल रहा बच्चा बड़ा हो जाता हैं, तो उसके कारण महिलाओं की पेशाब की थैली पर दबाव पड़ने लगता है जिसकी वजह से बार-बार पेशाब आता हैं। बार-बार पेशाब आना कोई भी दिक्कत नहीं है क्योंकि गर्भावस्था के समय महिलाओं को इस परेशानी का सामना तो करना ही पड़ेगा, क्योंकि डॉक्टर भी इस समस्या से आपको छुटकारा नहीं दिला सकते क्योंकि गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में यह बदलाव होने आवश्यक हैं।

6. चक्कर आना

जब महिलाएं गर्भवती होती हैं तो शुरुआती दिनों में उन्हें चक्कर आना एक आम समस्या हैं, क्योंकि महिलाओं के शरीर को बदलाव की आदत नहीं होती और जब उनके शरीर में अचानक से ही गर्भावस्था के कारण बदलाव होने शुरू हो जाते हैं तो उस समय महिलाओं को चक्कर आना एक सामान्य सी बात हैं, मगर इस चक्कर आने की समस्या को देखकर महिलाओं को घबराने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं हैं क्योंकि चक्कर की समस्या महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा 5 से 6 दिनों तक ही रहती हैं। जब उनके शरीर को बदलाव की आदत पड़ जाती हैं तो उसके पश्चात उन्हें चक्कर आने की समस्या का सामना भी नहीं करना पड़ता।

7. चटपटा खाने का मन करना

जब महिलाओं के पीरियड में खो जाते हैं तो अगर वह गर्भवती हैं तो उनका चटपटा खाने का काफी ज्यादा मन करता हैं। यह बदलाव गर्भवती महिलाओं को पीरियड मिस होने के 5 से 6 दिन बाद ही दिखना शुरू हो जाएगा। जब गर्भावस्था के कारण महिलाओं के शरीर में हार्मोन बदलते हैं तो उसके कारण उनका अलग-अलग चीजें खाने का मन करता है जैसे की खट्टी चीजें, चटपटी चीजें या ज्यादा मीठी चीजें ।

लेकिन याद रहे कि जब महिलाओं का चटपटा खाने का मन करता है तो उन्हें घर पर ही कोई चीज खा लेनी चाहिए क्योंकि बाहर का खाना उन्हें काफी ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है और बाहर के चटपटे खाने को बनाने के लिए अलग-अलग रसायनों का इस्तेमाल भी होता हैं, इसलिए वह गर्भवती महिला के स्वास्थ्य के लिए अच्छे नहीं होतें। ज्यादातर डॉक्टर भी यही सलाह देते हैं कि जिन महिलाओं का चटपटा खाने का मन करता है तो उन्हें थोड़ा बहुत चटपटा घर पर ही बना कर खा लेना चाहिए लेकिन उसमें भी ज्यादा मिर्च मसालों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

8. खाना खाने का मन ना करना

गर्भावस्था का चरण शुरू होने पर महिलाओं के सामने सबसे बड़ी दिक्कत तो यह आती है कि उनका शुरुआत में कुछ भी खाने का मन नहीं करता। बहुत-सी महिलाओं को शुरुआत में इस प्रकार का लक्षण दिखाई देता है कि उन्हें कुछ भी खाने का मन नहीं करता अगर वह कुछ खाने का प्रयास भी करती हैं तो उन्हें तुरंत ही उल्टी हो जाती हैं। वैसे तो गर्भावस्था के शुरुआती चरण में यह लक्ष्मण बहुत ही कम महिलाओं को ज्यादा दिनों तक दिखाई देते हैं।

इस प्रकार के लक्षण 2 से 3 दिन में खुद ही ठीक हो जाएं तो समस्या नहीं है मगर जब यह लक्षण गंभीर रूप से महिलाओं को परेशान करते हैं तो उस समय डॉक्टरों की सलाह लेना आवश्यक होता हैं, क्योंकि इस प्रकार तो महिलाएं धीरे-धीरे काफी ज्यादा कमजोर हो जाएंगी। गर्भवती महिलाओं के लिए गर्भावस्था के शुरुआती दौर में अधिक से अधिक पोषक तत्व की आवश्यकता होती हैं और जब खाना खाने का मन नहीं करता, तो उस समय महिलाएं पोषक तत्वों को भी ग्रहण नहीं कर पाती जिसकी वजह से उनके बच्चे के विकास में भी बाधा उत्पन्न हो सकती हैं।

9. वेजाइनल डिसचार्ज

गर्भावस्था के शुरुआती चरण में महिलाओं में ही लगातार वैजिनल डिस्चार्ज ( Vaginal Discharge ) होता हैं, क्योंकि महिलाओं का शरीर किस प्रकार तैयार हो रहा होता है कि बच्चे की सुरक्षा की जा सकें। हम आपको बता दें कि बच्चे को बाहरी संक्रमण से बचाने के लिए महिलाओं के शरीर में म्यूकस ( Mucus ) तैयार हो रहा होता है और इसी म्यूकस के तैयार होने पर महिलाओं की योनि से स्त्राव होता है, इस प्रकार के योनि स्त्राव को देखकर महिलाओं को घबराने की आवश्यकता नहीं हैं, क्योंकि गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में इस प्रकार के बदलाव हर एक महिला के शरीर में होते हैं।

10. स्वभाव में परिवर्तन

गर्भावस्था की शुरुआत होते ही महिलाओं के शरीर में हार्मोन बदलने के कारण उनके स्वभाव में भी बदलाव होना शुरू हो जाता हैं, क्योंकि हार्मोन बदलने के कारण महिलाओं के पूरे शरीर पर प्रभाव पड़ता हैं। बहुत-सी महिलाओं के स्वभाव में तो इतना ज्यादा बदलाव हो जाता है कि नहीं अचानक से ही काफी ज्यादा खुश हो जाती हैं और अचानक से ही उन्हें काफी ज्यादा गुस्सा आने लगता है और बात बात पर वह अपने पार्टनर से भी नाराज होने लगती हैं।

इस प्रकार स्वभाव में परिवर्तन हर एक महिला के होता हैं, लेकिन बहुत सी महिलाओं के स्वभाव में परिवर्तन काफी कम होता है और बहुत सी महिलाओं के स्वभाव में परिवर्तन काफी ज्यादा होता हैं। यह परिवर्तन हर एक महिला के शरीर के हिसाब से अलग-अलग हो सकते हैं। क्योंकि हर एक महिला के शरीर का सिस्टम थोड़ा एक दूसरी महिला से भिन्न होता है इसीलिए महिलाओं में बदलाव की अवधि भी अलग-अलग होती है।

11. पाचन तंत्र प्रभावित होता है

गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में महिलाओं के शरीर में बदलाव होने के कारण उनका पाचन तंत्र सबसे पहले प्रभावित हो जाता हैं, क्योंकि शरीर में जब काफी अधिक बदलाव होते हैं तो उन बदलावों को पाचन तंत्र बर्दाश्त नहीं कर पाता और इसी के कारण पाचन तंत्र की प्रक्रिया धीमी हो जाती है और महिलाओं को खाना हजम होने में काफी देरी रहने लगती है या फिर महिलाओं को काफी ज्यादा कब्ज की समस्या रहने लगती हैं यह कब्ज की समस्या महिलाओं में लंबे समय तक भी रह सकती हैं।

इसीलिए गर्भावस्था के शुरुआती चरण में कब्ज की समस्या होने पर ज्यादा दिन तक इसे अनदेखा ना करें, 2 से 3 दिन में कब्ज की समस्या ठीक ना होने पर तुरंत ही गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर की सलाह लें। क्योंकि कब्ज की समस्या एक ऐसी समस्या है जो महिलाओं को गर्भ अवस्था में काफी नुकसान पहुंचा सकती हैं। यहां तक कि पेट में गैस बनने के कारण गर्भ में पल रहे बच्चे को भी नुकसान पहुंच सकता है इसीलिए कब्ज की बीमारी का जल्द से जल्द इलाज करवाना जरूरी होता हैं।

12. सूंघने की शक्ति प्रभावित होती है

गर्भावस्था के शुरुआती चरण में महिलाओं की सूंघने की शक्ति भी प्रभावित हो सकती हैं। बहुत सी महिलाओं के साथ ऐसा होता है कि जब वह गर्भ धारण करती हैं तो उन्हें अचानक से ही खाने पीने की चीजों में से भी काफी बुरी बदबू आने लगती है या फिर अपने आसपास से ही बदबू आने लगती हैं, वास्तव में यह बदबू नहीं होती उन्हें सिर्फ भ्रम होता है

इस प्रकार का लक्षण महिलाओं में ज्यादा से ज्यादा 5 से 6 दिनों तक ही दिखाई दे सकता हैं, यह सिर्फ शरीर में हार्मोन के कारण होने वाले बदलाव के कारण ही महसूस होता हैं जब महिलाओं का शरीर बदलाव को सहन करने लगता हैं, तो उस समय इस प्रकार के लक्षण महिलाओं के शरीर में दिखाई देने बंद हो जाते हैं।

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गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में डॉक्टर से कब मिलना चाहिए

महिलाओं के लिए गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में डॉक्टर से मिलना काफी जरूरी होता है चौकी बहुत सी महिलाएं ऐसी भी होती हैं जिनके शरीर में इतनी क्षमता नहीं होती कि वह बच्चे को जन्म दे सकें लेकिन फिर भी वह गर्भवती हो जाती हैं मगर गर्भवती होने के पश्चात डॉक्टर की सलाह आवश्यक होती हैं, क्योंकि इस प्रकार की महिलाओं को डॉक्टर पूरी तरह से मजबूत बनाने में मदद करते हैं, ताकि वह एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सके और बच्चे के प्रसव के पश्चात खुद भी स्वस्थ रह सकें।

बहुत सी महिलाएं काफी दुबली पतली होती हैं और दूसरी महिलाओं की अपेक्षा थोड़ी सी कमजोर होती हैं, इस प्रकार की महिलाओं को गर्भावस्था कब पता लगते ही गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर से मुलाकात करनी चाहिए और उसे बताना चाहिए कि आप गर्भवती हैं फिर वह gynecologist doctor आपके शरीर के हिसाब से आपको बहुत सी दवाइयां भी दे सकते हैं जो कि आप और आपके बच्चे दोनों के लिए ही फायदेमंद साबित होंगी।

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का शरीर पूरी तरह से स्वस्थ रहना बहुत जरूरी हैं, क्योंकि जब महिलाओं का शरीर पूरी तरह से स्वस्थ रहता है तो तभी बच्चे का विकास भी हो पाता है इसीलिए एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देने के लिए माता का स्वस्थ होना आवश्यक हैं, गर्भावस्था का पता लगते ही महिलाओं को अपने खाने पीने में बदलाव कर देना चाहिए।

जैसे कि उन्हें पौष्टिक आहार का सेवन करना शुरू कर देना चाहिए जैसे कि दूध , दही , पनीर , हरी सब्जी , दाल , अंडा , मीट इत्यादि यह सब चीजें प्रोटीन और विटामिंस से भरपूर होते हैं और महिलाओं के शरीर में सभी कमियों को पूरा करते हैं।

जिन महिलाओं को गर्भावस्था में दिखाई देने वाले कोई भी लक्षण गंभीर रूप से दिखाई देते हैं, तो इस प्रकार की महिलाओं को गंभीर रूप से दिखाई देने वाले लक्षणों को बर्दाश्त करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इस प्रकार के लक्षण महिलाओं को कमजोर बना सकते हैं, इसीलिए महिलाओं को शुरुआत से ही डॉक्टर की सलाह लेते रहना चाहिए और जब गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं तो उस समय तो तुरंत ही इलाज की आवश्यकता होती हैं।

जिन महिलाओं को कोई छोटी मोटी बीमारी है और वह गर्भवती हो जाती हैं तो उन्हें शुरुआत से ही gynecologist doctor की सलाह लेने की खास आवश्यकता हैं। क्योंकि बहुत सी बीमारियां ऐसी होती हैं जिनमें महिलाएं गर्भवती तो हो जाती हैं लेकिन वह चाह कर भी एक स्वस्थ बच्चे को जन्म नहीं दे पाती, इसीलिए डॉक्टर की सलाह आवश्यक हैं।

Conclusion –

गर्भावस्था के शुरुआती चरण में महिलाओं के शरीर में कौन-कौन से बदलाव होते हैं और किस प्रकार वह इन बदलावों को पहचान कर शुरुआत से ही अपना सही इलाज करवा सकती हैं इसके बारे में हमने आपको बताया हैं, क्योंकि जो महिलाएं दूसरी महिलाओं की अपेक्षा काफी कमजोर होती हैं तो उन महिलाओं का शुरुआत से ही इलाज होना आवश्यक है तभी वह खुद भी स्वस्थ रह पाती है और एक स्वस्थ बच्चे को भी जन्म दे पाती हैं। इसके अतिरिक्त आज की पोस्ट के माध्यम से हमने What Changes Happen In First Stage Of Pregnancy In Hindi तथा Starting Pregnancy Changes In Women In Hindi के बारे में जाना।

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