- Electricity Importance For Healthcare Systems In India
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और विश्व बैंक (World Bank) ने संयुक्त रूप से किया अध्ययन
- रेडिएंट वार्मर और रेफ्रिजरेटर का प्रयोग किया जाना हो रहा है मुश्किल
- ज्योतिग्राम योजना (JGY) के तहत मिली 24/7 बिजली
- बिजली की पहुंच के साथ आवश्यक है एक मजबूत हेल्थ केयर इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण
Electricity Importance For Healthcare Systems In India
कोरोनावायरस की दूसरे लहर के दौरान उच्च और मध्यम वर्ग के साथ-साथ गरीब वर्ग भी बहुत बुरी तरह से जूझ रहे हैं। आने वाले समय में विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए यह जानना और समझना बहुत अधिक आवश्यक है कि एक सुव्यवस्थित स्वास्थ्य प्रणाली के विकास में बिजली की महत्वपूर्ण भूमिका है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और विश्व बैंक (World Bank) ने संयुक्त रूप से किया अध्ययन
जैसा कि हम सभी जानते हैं दुनिया भर के लोगों के लिए एक मजबूत स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे के पूर्ण रूप से निर्माण के लिए बिजली की पहुंच भी बेहद आवश्यक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और विश्व बैंक (World Bank) दोनों ने एक संयुक्त अध्ययन के द्वारा बताया कि बिजली की पहुंच होना बेहद आवश्यक हो गया है। इसके अलावा यह भी बता दें कि भारत उन देशों की श्रेणी में आता है जहां आबादी का एक बड़ा भाग ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करता है।
यहां जो ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा प्रणाली मौजूद है, वह त्रि-स्तरीय संरचना का अनुसरण करती है – उप-केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र। इसके अंतर्गत टीकाकरण, प्रसव, प्रसवपूर्व और नवजात देखभाल जैसे महत्वपूर्ण कार्यों को शामिल करते हैं।
अब बात करें भारत में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की तो या तो यहां विद्युतीकरण की सुविधा उपलब्ध नहीं है अथवा नियमित बिजली की आपूर्ति नहीं हो पाती है। यहां चिकित्सा उपकरण एवं आवश्यक कर्मचारियों की मौजूदगी के बाद भी बिजली की समस्या के कारण यह स्वास्थ्य केंद्रों की सेवा वितरण की सुविधाओं को लाचार बना देता है। उच्च वर्ग एवं मध्यम वर्ग के पास बिजली की उपलब्धता काफी हद तक है परंतु देखा जाए तो इस बीच गरीब वर्ग पूरी तरह से फंसे हुए हैं।
रेडिएंट वार्मर और रेफ्रिजरेटर का प्रयोग किया जाना हो रहा है मुश्किल
बिजली तक विश्वसनीय पहुंच स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली में एक महत्वपूर्ण बाधा सिद्ध हो रही है। इतना ही नहीं बिजली की उपलब्धता ना होना भी स्वास्थ्य क्षेत्र में कई बाधाओं को जन्म दे रही है जैसे बिजली के बिना अन्य चिकित्सा उपकरणों का प्रयोग किया जाना संभव नहीं हो पा रहा है। उदाहरण के तौर पर बात करें तो नवजात बच्चों के देखभाल के लिए रेडिएंट वार्मर का प्रयोग भी लगभग बंद कर दिया गया है। वहीं दूसरी ओर रक्षक दवाओं के भंडारण के लिए भी रेफ्रिजरेटर का इस्तेमाल किया जाना चाहिए लेकिन बिजली की अनुपलब्धता के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है।
ज्योतिग्राम योजना (JGY) के तहत मिली 24/7 बिजली
हाल ही में गुजरात में ग्रामीण गैर-कृषि उपयोगकर्ताओं को ज्योतिग्राम योजना (JGY) के तहत 24/7 बिजली प्रदान किया जा रहा है। बता दें कि यह ग्रामीण विद्युतीकरण कार्यक्रम दर्शाता है कि विशेष रूप से प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़े परिचालन क्षमता में पहले की तुलना में काफी सुधार देखने को मिले हैं।
बिजली की पहुंच के साथ आवश्यक है एक मजबूत हेल्थ केयर इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण
स्वास्थ्य क्षेत्र की बात करें तो यहां मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए भी उर्जा बहुत अधिक आवश्यक है। वैश्विक आंकड़ों की बात करें तो हर साल 289,000 से अधिक महिलाओं की मौत गर्भावस्था संबंधी जटिलताओं से हो जाती है। यह पूर्ण रूप से महिलाओं एवं नवजात शिशुओं को प्रभावित करते हुए दिखाई दे रही है। यही कारण है कि प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं में वितरण के रूप में बिजली की सुविधा प्रदान करना बहुत अधिक आवश्यक है।
हालांकि भारत के आंकड़ों के मुताबिक बात करें तो बीते वर्षों में घरेलू विद्युतीकरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति देखने को मिली है। लेकिन खराब बुनियादी ढांचे, उच्च रखरखाव लागत और अपर्याप्त नीति समर्थन के कारण स्वास्थ्य सुविधाओं का विद्युतीकरण एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। ऑफ-ग्रिड और ग्रिड इंटरएक्टिव सौर ऊर्जा संयंत्रों के लिए अच्छी तरह से परिभाषित केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा बनाई गई नीतियां हैं।
लेकिन वही ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों की बात करें तो देखा जाता है कि ऑफ-ग्रिड सौर पीवी बिजली संयंत्रों की स्थापना और रखरखाव पर ऐसी कोई नीति या मार्गदर्शक दस्तावेज मौजूद नहीं है। जबकि नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRI) और राज्य सरकारों (State Govt.) ने ऑफ-ग्रिड पीवी बिजली संयंत्रों की खरीद और स्थापना के लिए दिशानिर्देश निर्धारित किए हैं, वहीं ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में इन ऑफ-ग्रिड पीवी संयंत्रों के रखरखाव पर अभी भी कोई नीति निर्देश नहीं है।