कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज के बाद आई Corona Vaccine Third Dose तीसरी खुराक करती है कमाल का असर, एस्ट्राजेनेका के ट्रायल के दौरान हुई पुष्टि
कोरोनावायरस के दूसरे लहर में वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज दी जा रही है। बता दें कि कोरोनावायरस का यह लहर पहले से भी अधिक घातक एवं खतरनाक साबित हुआ है और इस बात की पुष्टि भी कर दी जा चुकी है। आपको बता दें कि अब कोरोना वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज आने के बाद कोरोना वैक्सीन तीसरी खुराक भी आ गई है। जिसके चलते बहुत से लोगो में उत्सुकता एवं थोडा सा भय बना हुआ।
पहली और दूसरी डोज से जुड़े अलग-अलग दावे आने के बाद अब तीसरी डोज देने के बारे में विचार किया जा रहा है लेकिन यह केवल कुछ देशों तक ही अभी सीमित है। उसके ट्रायल के दौरान देखा गया कि कोरोना वैक्सीन की तीसरी डोज कोरोना पर काफी प्रभावशाली है, जिसे एस्ट्राजेनेका का नाम दिया गया। इससे एक जबरदस्त प्रभाव देखने को मिला है।

प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ावा देने के लिए एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की तीसरी खुराक होगी और भी जादा कारगर
बात
शोधकर्ता तीसरा शोधकर्ता तीसरी खुराक के असर को निरीक्षण करने में जुट गए हैं। ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) में पहली और दूसरी डोज के बीच का अंतराल 45 हफ्ते रखा गया। यदि आप नहीं जानते कि पहली और दूसरे डोज के बीच का समय अंतराल इतना अधिक क्यों है तो हम बता दें कि इससे कोरोनावायरस के खिलाफ इम्यूनिटी पावर और बढ़ती है।

वहीं दूसरी और कोरोना वैक्सीन तीसरी खुराक के मध्य 6 महीने का अंतराल रखा गया। इससे एंटीबॉडी में काफी अधिक बढ़ोतरी वह सकती है साथ ही वायरस के लिए इम्यून रिस्पांस में बेहद मजबूत प्रतिक्रिया देखने को मिलती है। ऐसा माना जाता है कि अगर कोविड टीके की दो खुराकों के बीच समय अंतराल अधिक है तो इससे प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी होती है। पुष्टि के दौरान इसकी सत्यता भी स्थापित की जा चुकी है।
इसके ट्रायल के दौरान 2250 प्रतिभागियों ने लिया हिस्सा
इन खबरों से आने वाली बातें उन देशों के लिए काफी राहत सिद्ध हुई है जहां कोविड टीके की उपलब्धता कम है और वहां लोगों की दो खुराक के अंतराल के मध्य काफी अंतर देखा जाता है। गौरतलब है कि ऑक्सफोर्ड शोधकर्ता एंड्रयू पोलार्ड ने एसट्राजेनेका के ट्रायल के दौरान कहा कि दूसरी डोज के बाद तीसरी खूराक के बेहतरीन नतीजें को देखने के लिए पहली खुराक के 10 महीने बाद ही तीसरी डोज लेना चाहिए। इससे वैक्सीन का अधिक प्रभाव देखने को मिलता है। बता दें कि इस ट्रायल के दौरान दक्षिण अमेरिका, पोलैंड, ब्राजील और ब्रिटेन के लगभग 2250 प्रतिभागियों को भी शामिल किया गया।

कोरोनावायरस के दूसरे लहर के दौरान वैक्सीनेशन के इस दौर में कई देशों में वैक्सीनेशन कार्यक्रम लगभग पूरा होने के कगार पर है और वहां वैक्सीन की तीसरी खूराक देने पर भी विचार हो रहा है, ताकि कोरोना वैक्सीन के विरोध में एक मजबूत इम्यूनिटी को तैयार किया जा सके।