बच्चों में Amblyopia या Lazy Eye क्या है ? इससे कैसे बचें? जानिए इसके कारण , लक्षण , निदान , इलाज और बचाव के टिप्स ? | What is Amblyopia or Lazy Eye in children? How to avoid it? Know its causes, symptoms, diagnosis, treatment, and prevention tips in Hindi?

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Dr. Yogeshwar Krishan Kant
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Amblyopia को लेज़ी आईज(Lazy Eyes) के नाम से भी जाना जाता है यह बीमारी हमारी आंखों मस्तिष्क के एक साथ अच्छी तरह से काम नहीं करने के कारण होती है यदि हमारी लेजी आई हो जाएं तो इसके कारण हमें देखने में बहुत ही परेशानी हो सकती है जो आमतौर पर बिल्कुल सामान्य ही दिखाई देती हैं आज हम आपको Amblyopia के बारे में ही बताएंगे की

  • Lazy Eye Kya Hai?
  • Lazy Eye Ka ilaj
  • Amblyopia In Hindi?
  • What Are The Causes Of Amblyopia In Hindi?
  • Amblyopia Ke Lakshan Kya Hai?
  • Amblyopia Ke Risk Factor Kya Hai?
  • Amblyopia Ka Diagnose Kaise Kiya Jata Hai?
  • Amblyopia ko Kaise Control Kare?
  • Amblyopia Ka ilaj?
  • Amblyopia Lifestyle Tips?

Amblyopia Kya Hai – What Is Amblyopia In Hindi?

Amblyopia को सामान्य रूप से आलसी आंख भी कहा जाता है, यह बीमारी बहुत से बच्चों में पाई जाती है इस बीमारी में बच्चे की आंखों की दृष्टि अच्छे से विकसित नहीं होती जिसके कारण उसे देखने में बहुत परेशानी होती है। दृष्टि में कमी तभी होती है, जब एक या दोनों आँखें हमारे मस्तिष्क को धुंधली छवि भेजती हैं। इस तरह हमारा मस्तिष्क उस आँख के साथ धुंधला देखना शुरू कर देता है, भले ही आपको चश्मा लगा हो। Amblyopia सिर्फ बच्चों को हो सकता है। अगर इस बीमारी का ठीक ढंग से उपचार ना हो तो आंखों को लेकर गंभीर समस्या भी हो सकती हैं।

वैसे तो एम्ब्लियोपिया के द्वारा सिर्फ एक ही आँख प्रभावित होती है, परंतु दोनों आँखों का “आलसी” होना भी संभव होता है। इस स्थिति को Ambulatory Amblyopia भी कहते हैं।

Amblyopia आपके शरीर पर कैसे असर करती है – How Does Amblyopia Affect Your Body In Hindi?

Amblyopia एक ऐसी बीमारी है जो हमारी दृष्टि पर काफी असर डालती है परंतु उम्र बढ़ने के साथ-साथ यह है असर भी बढ़ने लगते हैं दृष्टि विकास के दौरान आपकी आंखों की दृष्टि पर कई प्रकार के फैक्टर्स असर कर सकते हैं जो आपके ब्रेन तथा आंखों को ठीक से संचार करने से रोकते हैं यदि इनमें से कोई एक भी फैक्टर दूसरे फैक्टर की तुलना मैं आपकी एक आंख के विकास में बाधा बनता है

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Amblyopia Ke Karan – What Are The Causes Of Amblyopia In Hindi?

जब जीवन की शुरुआत होती है तो जीवन की शुरुआत में ही आज सामान्य दृश्य अनुभव के कारण ही Amblyopia विकसित होता है, जोकि आंख और ब्रेन के पीछे रेटिना की पतली परत के बीच तंत्रिकाओं को बदलता है, बहुत से कारण भी इसमें शामिल हो सकते हैं जैसे कि :-

1. Muscle embalance

Amblyopia का सबसे मुख्य कारण हमारी आंखों को बनाए रखने वाली मसल्स का इंबैलेंस होना ही होता है यह हमारी आंखों कार बाहर निकलने का कारण भी बन सकता है, और यह हमारी आंखों को एक साथ ट्रैक करने से रोकता है जिसके कारण हम अच्छे से नहीं देख पाते।

2. Refractory anisometropia

दोनों आंखों में देखने के तरीके में कुछ खास अंतर होते हैं अक्सर यह अंतर सिर्फ और सिर्फ दूर की दृष्टि कम होने के कारण होते हैं, परंतु कभी-कभी पास की नजर कमजोर होने के कारण भी Amblyopia हो सकता है।

3. Deputation

मोतियाबिंद के कारण भी बच्चे के आंख की देखने की क्षमता जा सकती है, अक्सर कुछ बच्चों में पैदा होने के पश्चात ही मोतियाबिंद के लक्षण देखे जाते हैं, क्योंकि कुछ बच्चे जब मां के पेट में होते हैं  तो तभी उन्हें कमजोरी के कारण मोतियाबिंद की बीमारी हो सकती है, और बच्चों में Amblyopia होने का यह भी सबसे बड़ा कारण हो सकता है।

4. विटामिन ए की कमी होना

बहुत से बच्चे ऐसे होते हैं जिनमें जन्म से ही पोषक तत्वों की कमी होती है, अब ऐसे में यदि किसी बच्चे के शरीर में विटामिन ए की कमी है तो उस बच्चे को Amblyopia हो सकता है।

Amblyopia Ka Diagnose Kaise Kiya Jata Hai – Lazy Eye Ka Nidan?

  • Lazy Eye की समस्या आम तौर पर सिर्फ एक ही आंख में होती है और जब यह है पहली बार होती है तो ना ही तो बच्चे को पता लगता है और ना ही उसके मां-बाप को पता लगता है इसीलिए सब सही है कि बच्चे की आंखों का नियमित रूप से चेकअप करवाते रहना चाहिए और यदि कोई बीमारी होगी भी तो वह चेकअप के दौरान निकल कर सामने आ जाएगी और फिर आप उसे आसानी से नियंत्रण में कर सकते हैं।
  • ज्यादातर सभी डॉक्टर बच्चों के मां-बाप को यही सलाह देते हैं, कि 6 महीने से लेकर 3 साल तक के बच्चे का महीने में एक बार या फिर 2 महीने में एक बार आंखों का चेकअप जरूर कराना चाहिए। क्योंकि बचपन में बच्चों की आंखों को बड़ी आसानी से ठीक किया जा सकता है, और यदि यही बीमारी बड़े होने तक पता लगेगी तो फिर इस बीमारी को नियंत्रण में नहीं किया जा सकता, इसीलिए बच्चों की आंखों का चेकअप कराना बहुत जरूरी होता है।
  • बच्चों की आंखें चेक करने के लिए डॉक्टर कई प्रकार के टेस्ट करते हैं, जैसे कि चार्ट पर अक्षर लिखे होते हैं और बच्चों को उनके आकार की ठीक ढंग से पहचान करनी होती है।
  • इसके अतिरिक्त डॉक्टर बच्चों की आंखों को मैग्नीफाइंग डिवाइस इसकी मदद से भी अच्छे से चेक करते हैं।

Amblyopia Ke Risk Factor Kya Hai – What Are The Risk Factor Of Amblyopia In Hindi?

  • जो बच्चे अक्सर पैदा होने के समय पर काफी कम वजन के होते हैं, या फिर जो बच्चे अपने पैदा होने के समय से कुछ समय पहले ही पैदा हो जाते हैं, तो इस प्रकार के बच्चों में Amblyopia होने का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है, इसीलिए सभी गर्भवती महिलाओं को डॉक्टर के द्वारा यही सलाह दी जाती है कि जब उनके पेट में बच्चा पल रहा होता है, तो उन्हें सभी पोषक तत्व से भरपूर भोजन का सेवन करना चाहिए या फिर फल का सेवन करना चाहिए, जिससे कि बच्चे को अच्छा स्वास्थ्य मिले।
  • यदि किसी बच्चे को जन्म के पश्चात ही Amblyopia हो जाता है, तो इसका एक कारण Genetix भी हो सकता है, मतलब की यदि परिवार में सभी पैदा होने वाले बच्चों को यह बीमारी होती है, तो उस समय भी बच्चों को यह बीमारी होने का कथा बढ़ जाता है, क्योंकि कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी तक चलती है।

Amblyopia Ke Lakshan Kya Hai – What Are The Symptoms Of Amblyopia In Hindi?

अब हम आपको Amblyopia Ke Lakshan बताएंगे,  जिनके कारण आप इस बीमारी को आसानी से पहचान सकते हैं :-

  • यदि किसी की भी आंखों का स्टीरियो विजन बहुत ज्यादा खराब है, तो हो सकता है कि उस बच्चे को Amblyopia के लक्षण हैं।
  • यदि आंखों से सब धुंधला दिख रहा है, या फिर दूर की चीजें देखने में काफी ज्यादा परेशानी हो रही है, तो यह भी इसी बीमारी का लक्षण है।
  • यदि किसी को भी तिरछा दिखाई देता है तो वह भी इसी बीमारी का लक्षण है, आपने अक्सर देखा होगा कि जब छोटे बच्चे पैदा होते हैं, तो बहुत से बच्चे बचपन से ही अपनी आंखों से तिरछा देखते हैं, मतलब कि उन बच्चों की आंखों में भेंगापन होता है, तो हम आपको बता दें कि भेंगापन Amblyopia का मुख्य लक्षण है।
  • यदि किसी की भी एक आंख अंदर या फिर बाहर की तरह बार-बार घूमती रहती है, तो यह भी इसी बीमारी का लक्षण है यदि इस तरह का लक्षण आपको दिखाई देता है, तो तुरंत ही आपको डॉक्टर की सलाह ले लेनी चाहिए।
  • यदि आप की दोनों आंखें एक साथ ठीक से काम नहीं कर रही हैं, तो यह भी इसी बीमारी का लक्षण है आपने बहुत लोगों को अक्सर देखा होगा, कि उनकी दोनों आंखों की नजरें अलग-अलग ढंग से कमजोर होती है, मतलब कि मान लीजिए यदि एक आंख का -1 नंबर है, तो दूसरी आंख का -2 हो तो यह भी Amblyopia का ही लक्षण है।

Amblyopia Ka ilaj – Treatment Of Amblyopia In Hindi?

अब हम आपको Lazy Eye Ka Upchar करने का तरीका बताएंगे कि किस प्रकार से लेजी आई को ठीक किया जा सकता है इस प्रकार के उपचारों में बहुत से विचार शामिल हैं जैसे कि :-

  • चश्मा

यदि किसी भी बच्चे को एक आंख में लेजी आई की समस्या है तो डॉक्टर उस समय आपको यह चला भी देता है, कि आप अपने छोटे बच्चे को चश्मा लगवा लें क्योंकि चश्मा लगाने से इस बीमारी को काफी हद तक नियंत्रण में रखा जा सकता है।

  • आई पैच

जब इस बीमारी से आंखें प्रभावित हो जाती हैं, तो डॉक्टरों के द्वारा बच्चों की प्रभावित आंख पर आई पैच पहनने की सलाह दी जाती है, क्योंकि आई पैच पहनने से बच्चों की कमजोर आंखों को थोड़ा मजबूत बनाया जा सकता है, और डॉक्टर आप को यही सलाह देगा कि दिन में 1 से 2 घंटे अपने बच्चों को आई पैच पहनाए, इस प्रकार आपके मस्तिष्क के उस हिस्से का विकास होगा जो कि आपकी दृष्टि को नियंत्रित करता है।

  • आई ड्रॉप

इस बीमारी में डॉक्टर के द्वारा बच्चों की आंखों में डालने के लिए आई ड्रॉप भी दी जाती है, जिससे कि बच्चों की आंखों की मचल काफी मजबूत बन जाती है, और फिर धीरे-धीरे आंखों की इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है।

  • सर्जरी

यदि आपके बच्चे की आंखें कैसी हैं, तो आंखों को सही जगह में लाने के लिए मसल्स सर्जरी भी की जाती है परंतु यह सबसे आखिर का विकल्प होता है, पहले तो आपको डॉक्टर के द्वारा बताए गए तरीकों का इस्तेमाल करना चाहिए। यदि उन तरीकों से आपको आराम नहीं मिलता है, तो फिर आपको आंखों की सर्जरी के बारे में सोचना चाहिए।

Amblyopia Prevention Tips In Hindi?

  • इस बीमारी में आपको अपने बच्चों को पोस्टिक आहार का सेवन कराना चाहिए, जिससे कि बच्चों के शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की पूर्ति हो जाए अब छोटे बच्चों को आप पोषक आहार के रूप में ज्यादा खाना तो खिला नहीं सकते, इसीलिए आपको अपने बच्चों को जितना हो सके उतना मां का दूध ही पिलाना है इसके अतिरिक्त आप बच्चों को गाय का दूध पिला सकते हैं।
  • जल्दी आपके बच्चे की लेगी आंखें हैं, तो आप अपने बच्चे को आंखों पर से आई पैच ना हटाने दे और यदि वह आंखों से यह हट आता भी है, तो फिर आपको आई ड्रॉप का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • यदि आपके घर में छोटे बच्चे हैं, तो उन छोटे बच्चों की आंखों का चेकअप आप को नियमित रूप से कराते रहना चाहिए या तो आप हर 40 दिन के बाद बच्चों की आंखों का चेकअप करवा सकते हैं, या फिर 60 दिन के बाद तो आपको अपने बच्चों की आंखों का चेकअप करवाना ही चाहिए क्योंकि बचपन में ही हमारी को खत्म किया जा सकता है, यदि वह बीमारी ज्यादा दिनों तक रह जाए तो परेशानी खड़ी करती है।

Amblyopia or Lazy Eyes Conclusion: –

हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारी यह पोस्ट बहुत ही पसंद आई होगी, इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको Amblyopia बीमारी के बारे में विस्तार से बताया है, Amblyopia Ke Lakshan Kya Hai और Amblyopia Ka ilaj तथा Causes Of Amblyopia In Hindi यदि आपको Amblyopia Disease से संबंधित कोई भी प्रश्न हम से पूछना हो, तो आप कमेंट सेक्शन के माध्यम से पूछ सकते हैं हम आपको उसका जवाब जरूर देंगे। धन्यवाद

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