- एक्टोपिक प्रेगनेंसी ( Ectopic Pregnancy ) क्या होती है जानिए एक्टोपिक प्रेगनेंसी के लक्षण उपाय व इलाज ?
- एक्टोपिक प्रेगनेंसी क्या हैं – What is Ectopic Pregnancy In Hindi ?
- महिलाओं में एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के क्या कारण होते हैं – Causes Of Ectopic Pregnancy In Hindi ?
- एक्टोपिक प्रेगनेंसी के क्या लक्षण होते हैं – Symptoms Of Ectopic Pregnancy In Hindi ?
- एक्टोपिक प्रेगनेंसी की जांच कैसे होती है – Diagnose Of Ectopic Pregnancy In Hindi ?
- एक्टोपिक प्रेगनेंसी से किस प्रकार बचा जा सकता हैं – Prevention From Ectopic Pregnancy In Hindi ?
- एक्टोपिक प्रेगनेंसी का इलाज क्या हैं – Treatment Of Ectopic Pregnancy In Hindi ?
- Conclusion –
एक्टोपिक प्रेगनेंसी ( Ectopic Pregnancy ) क्या होती है जानिए एक्टोपिक प्रेगनेंसी के लक्षण उपाय व इलाज ?
जब महिलाएं गर्भवती होने का सोचती हैं तो उस समय बहुत-सी महिलाओं को शारीरिक तथा मानसिक समस्याओं से गुजरना पड़ता हैं, क्योंकि कुछ महिलाओं के शरीर में तो जन्म से ही कुछ दिक्कत होती है जिसकी वजह से वह मां नहीं बन पाती या उन्हें मां बनने में दूसरी महिलाओं की अपेक्षा ज्यादा समय लगता हैं। महिलाओं के शरीर में 100 से भी ज्यादा ऐसी बीमारियां हो सकती हैं जिनकी वजह से उन्हें गर्भधारण करने में समस्या आती है या फिर गर्भधारण कर लेने के पश्चात गर्भपात का खतरा काफी हद तक बना रहता हैं।
ऐसी बहुत सी समस्याएं होती हैं जिनके बारे में हर एक लड़की और महिलाओं को पता होना काफी आवश्यक हैं। खास तौर पर जो महिलाएं गर्भवती नहीं हो पा रही है तो उन्हें तो इन समस्याओं के बारे में पता ही होना चाहिए। महिलाओं में एक ऐसी समस्या होती है जिसे एक्टोपिक प्रेगनेंसी ( Ectopic Pregnancy ) कहते हैं।
इस समस्या में महिलाएं गर्भवती नहीं हो पाती। क्योंकि एक्टोपिक प्रेगनेंसी ( Ectopic Pregnancy ) नाम की समस्या उस समस्या को कहते हैं जिसमें Egg/Uterus में रुकने की बजाय कहीं और रुक जाता हैं। जिसके कारण गर्भवती होने पर भी महिलाओं को अपना अबॉर्शन ( Abortion ) करवाना पड़ता हैं।
अगर हम साधारण की भाषा में कहें तो यह एक ऐसी समस्या होती है जिसमें अंडा/गर्भाशय ( Egg/Uterus ) में जाने की जगह फेलोपियन ट्यूब ( Fallopian Tubes ) में ही अटक जाता है और यही पर विकसित होना शुरू कर देता हैं। इस समस्या में महिलाओं के पास सिर्फ एक ही विकल्प होता है कि उन्हें Abortion कराना पड़ता हैं। क्योंकि इस समस्या का और कोई भी दूसरा इलाज नहीं हैं।
इस बीमारी के बारे में गर्भावस्था के चौथे या दसवें सप्ताह में ही पता लग जाता है इसलिए गर्भवती होने पर महिलाओं को तुरंत ही अपनी जांच करवानी चाहिए। आज हम आपको इसी बीमारी के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं कि Symptoms Of Ectopic Pregnancy In Hindi तथा Causes Of Ectopic Pregnancy In Hindi इसी के साथ-साथ हम आपको What Is Ectopic Pregnancy In Hindi तथा Treatment Of Ectopic Pregnancy In Hindi के बारे में भी बताएंगे ताकि महिलाएं आसानी से इस बीमारी से छुटकारा पा सकें।
एक्टोपिक प्रेगनेंसी क्या हैं – What is Ectopic Pregnancy In Hindi ?
यह सवाल आज के समय में बहुत सी महिलाओं के मन में है कि ectopic pregnancy Kya Hoti Hai, तो हम आपको बता दें कि एक्टोपिक प्रेगनेंसी एक ऐसी समस्या होती है जिसमें महिलाएं गर्भवती तो हो जाती है लेकिन बीच में ही उन्हें अपना Abortion करवाना पड़ता है क्योंकि इस परिस्थिति में वह चाह कर भी बच्चे को जन्म नहीं दे सकती।
जो महिलाएं इस बीमारी में बच्चे को जन्म देने की कोशिश भी करती हैं तो उनकी मृत्यु निश्चित हैं। जैसे की हम सभी जानते हैं कि गर्भधारण करने के लिए जब अंडा और स्पर्म आपस में मिलते हैं, तो धीरे-धीरे फेलोपियन ट्यूब से गुजरते हुए यह गर्भाशय तक पहुंचते हैं।
लेकिन जिन महिलाओं को Ectopic Pregnancy होती है तो उन महिलाओं में Egg / Fallopian Tube के माध्यम से एक गर्भाशय तक नहीं पहुंचता बल्कि Fallopian Tube में ही विकसित होना शुरू कर देता है और धीरे-धीरे Fallopian Tube में ही बच्चा अपना आकार लेने लगता है जिसकी वजह से महिलाओं को शुरुआत में तो थोड़ी बहुत समस्या होती है लेकिन धीरे-धीरे यह समस्या बढ़ती जाती है। अगर समय पर इस बीमारी का पता ना लगे तो गंभीर परिस्थिति में महिलाओं की मृत्यु भी हो सकती हैं। यह एक ऐसी बीमारी होती है जिसमें महिलाओं को सिर्फ अपना वजन ही करवाना पड़ता हैं।
यह बीमारी हर एक महिला को नहीं होती अगर 100 महिलाएं हैं तो 100 महिलाओं में से किसी भी दो महिलाओं को यह समस्या हो सकती हैं, लेकिन इस समस्या का समाधान गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर के द्वारा आसानी से किया जा सकता है मगर इस बीमारी का सिर्फ समय पर ही इलाज होता हैं। डॉक्टरों का यह कहना है कि बच्चे का विकास गर्भाशय के अतिरिक्त और कहीं भी ठीक से नहीं हो सकता अगर किसी कारणवश Egg / Uterus में पहुंचने के बजाय कहीं और रुक जाता है तो इस स्थिति में बच्चे को जन्म नहीं दिया जा सकता।
एक्टोपिक प्रेगनेंसी का पता गर्भावस्था के चौथे या दसवें सप्ताह में लगता हैं। इसीलिए जब महिलाओं के पीरियड मिस हो जाते हैं तो Period Miss होने पर 3 सप्ताह के अंदर एक बार Gynecologist Doctor से जांच करवा लेनी चाहिए। क्योंकि गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर जांच के दौरान आसानी से इस बीमारी को पहचान सकते हैं और फिर इसका समय पर इलाज कर सकते हैं।
महिलाओं में एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के क्या कारण होते हैं – Causes Of Ectopic Pregnancy In Hindi ?
महिलाओं में एक्टोपिक प्रेगनेंसी के कई कारण हो सकते हैं जिनके बारे में महिलाओं को पता होना काफी आवश्यक है
प्रजनन क्षमता को बढ़ाने वाली दवाइयां
बहुत सी महिलाएं प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए दवाइयां खाती हैं या फिर उनकी प्रजनन क्षमता काफी कमजोर होती है तो डॉक्टर के द्वारा प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए बहुत सी अंग्रेजी दवाइयां दी जाती हैं मगर इस प्रकार की प्रजनन क्षमता को बढ़ाने वाली दवाइयां एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का कारण बन सकती है इसीलिए इस प्रकार की दवाइयों का ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए और जिस प्रकार जितनी मात्रा में दवाई का सेवन करने के लिए डॉक्टर के द्वारा कहा जाता है आपको सिर्फ उतनी ही मात्रा में सेवन करना चाहिए
अनुवांशिक
यह समस्या अनुवांशिक भी हो सकती है मतलब की बहुत सी महिलाओं के परिवार में यह समस्या पिछले कई पीढ़ियों से चलती आ रही होती हैं इसी वजह से उनके परिवार की महिलाओं को यह बीमारी हो जाती है और इसी कारण आने वाली पीढ़ी में भी यह बीमारी चलती है बहुत सी बीमारियां पीढ़ी दर पीढ़ी तक चलती है। इसीलिए उन्हें अनुवांशिक कहा जाता है बहुत सी महिलाओं में इस बीमारी का कारण अनुवांशिक भी माना जाता हैं।
फैलोपियन ट्यूब में सूजन या संक्रमण
अगर किसी महिला के शरीर में फेलोपियन ट्यूब में सूजन या संक्रमण हैं तो उसकी वजह से भी एक्टोपिक प्रेगनेंसी हो सकती है। क्योंकि अंडे को गर्भाशय तक फेलोपियन ट्यूब से होकर गुजरना पड़ता है और इस दौरान अगर फेलोपियन ट्यूब ही सही नहीं हैं, तो एक्टोपिक प्रेगनेंसी का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता हैं। इसीलिए अगर महिलाओं को Fallopian Tube से संबंधित कोई लक्षण महसूस होता है तो उन्हें एक बार अपनी जांच करवा लेनी चाहिए।
पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज
अगर किसी महिला को Pelvic Inflammatory Disease है, तो इस समस्या के कारण भी महिलाओं को एक्टोपिक प्रेगनेंसी का खतरा बढ़ जाता है। बहुत से रिचार्ज के दौरान यह पाया गया है कि जो महिलाएं Pelvic Inflammatory Disease से ग्रसित होती हैं तो उनमें एक्टोपिक प्रेगनेंसी होना आम बात हैं।
अधिक उम्र में गर्भधारण करना
जो महिलाएं 35 वर्ष से ज्यादा की आयु में गर्भधारण करती हैं तो उन्हें भी इस बीमारी का खतरा काफी अधिक बढ़ सकता हैं। जब महिलाएं अधिक उम्र की हो जाती हैं तो उनके शरीर की प्रजनन क्षमता भी पहले के जैसी नहीं रहती और उन्हें गर्भवती होने में भी अधिक टाइम लगता है। वैसे तो डॉक्टर के द्वारा अधिक उम्र में गर्भवती होने को मना ही किया जाता हैं क्योंकि अधिक उम्र में गर्भवती होने पर महिलाओं को काफी अधिक इलाज की भी आवश्यकता पड़ सकती हैं। इसलिए सही उम्र में गर्भवती होना आपको Ectopic Pregnancy से बचा सकता हैं।
नशीले पदार्थों का सेवन करने वाली महिलाएं
जो महिलाएं नशीले पदार्थों का सेवन अधिक करती हैं, तो उनमें भी एक्टोपिक प्रेगनेंसी देखी गई हैं। बहुत सी महिलाएं ऐसी होती हैं जो धूम्रपान या फिर शराब का सेवन काफी ज्यादा करती हैं और इस प्रकार की महिलाओं में गर्भावस्था के समय कोई ना कोई दिक्कत तो जरूर होती ही हैं। इसीलिए महिलाओं को यह कहा जाता है कि उन्हें किसी भी तरह के नशीले उत्पादों का सेवन नहीं करना चाहिए।
फेलोपियन ट्यूब की सर्जरी
अगर किसी महिला ने गर्भवती होने के लिए फेलोपियन ट्यूब की सर्जरी करवाई हैं, तो इस प्रकार की महिलाओं को भी Ectopic Pregnancy होने का खतरा काफी हद तक बना रहता हैं। बहुत-सी महिलाओं के शरीर में Fallopian Tube Block हो जाती है और उस फैलोपियन ट्यूब को ओपन करवाने के लिए सर्जरी करवाई जाती है या फिर किसी और कारणवश Fallopian Tube की Surgery करवाई गई हैं, तो उस परिस्थिति में एक्टोपिक प्रेगनेंसी हो सकती हैं।
जन्मजात दोष
बहुत-सी महिलाओं को यह समस्या जन्म से भी हो सकती है इसी वजह से यह समस्या धीरे-धीरे उम्र के साथ-साथ बढ़ जाती है और जब महिलाएं गर्भवती होती हैं तो उस समय इस समस्या का पता लगता है
पेट की सर्जरी या पहले कभी अबॉर्शन कराया हो
अगर किसी महिला ने पहले कभी पेट की सर्जरी या अबॉर्शन कराया है तो उन महिलाओं में भी इस बीमारी का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है इसीलिए डॉक्टर के द्वारा यह सलाह दी जाती है कि महिलाओं को ऑपरेशन नहीं कराना चाहिए क्योंकि अबॉर्शन कराने से महिलाओं की प्रजनन क्षमता के साथ-साथ शरीर के बाकी अंगों पर भी काफी बुरा असर पड़ता है
एंडोमेट्रियोसिस की समस्या से ग्रसित महिलाएं
जो महिलाएं पहले कभी एंडोमेट्रियोसिस की समस्या से ग्रसित रही हो तो इस प्रकार की महिलाओं में भी एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है इसीलिए एंडोमेट्रियोसिस से बीमारी होने पर महिलाओं को पूरी सावधानी बरतनी चाहिए और बिल्कुल सही इलाज कराना चाहिए
एक्टोपिक प्रेगनेंसी के क्या लक्षण होते हैं – Symptoms Of Ectopic Pregnancy In Hindi ?
एक्टोपिक प्रेगनेंसी और एक सामान्य प्रेगनेंसी में जमीन आसमान का फर्क होता हैं। एक्टोपिक प्रेगनेंसी में महिलाओं को काफी अलग लक्षण दिखाई देते हैं जो कि एक्टोपिक प्रेगनेंसी का दावा करते हैं। अगर कोई समझदार डॉक्टर आपके इन लक्षणों को सुनेगा तो वह बिना जांच के ही Ectopic Pregnancy के बारे में बता देता है लेकिन महिलाओं को भी एक्टोपिक प्रेगनेंसी के लक्षण पता होने जरूरी हैं।
पेट के निचले हिस्से में दर्द
जिन महिलाओं को एक्टोपिक प्रेगनेंसी होती हैं, तो उन महिलाओं के पेट के निचले हिस्से में काफी ज्यादा दर्द होता है। सामान्य गर्भावस्था में महिलाओं को कभी भी पेट के निचले हिस्से में दर्द नहीं होता लेकिन Ectopic Pregnancy में महिलाओं को लगातार शुरुआत से ही पेट के निचले हिस्से में काफी ज्यादा दर्द रहता है और यह लक्षण Ectopic Pregnancy का मुख्य लक्षण होता हैं।
कंधे तथा गर्दन में तेज दर्द
एक्टोपिक प्रेगनेंसी होने पर महिलाओं के कंधे और गर्दन में काफी दर्द रहता हैं वैसे तो सामान्य प्रेगनेंसी में भी गर्दन और कंधों में दर्द हो सकता है लेकिन Ectopic Pregnancy के दौरान यह दर्द सामान्य दर्द से बिल्कुल अलग होता है। यह दर्द महिलाओं से बर्दाश्त भी नहीं किया जाता और जब वह दवाई खाती भी हैं, तो थोड़ी देर के लिए दर्द सही हो जाता है मगर जैसे ही दवाई का असर खत्म होता है तो यह दर्द फिर से हो जाता हैं। इस परिस्थिति में भी महिलाओं को गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर को अपनी स्थिति के बारे में बताना चाहिए।
वेजिना से ब्लीडिंग होना
जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान एक्टोपिक प्रेगनेंसी होती हैं, तो उन महिलाओं में वेजिना से ब्लीडिंग होती ही रहती हैं। इस बात को तो हम सभी जानते हैं कि सामान्य गर्भ अवस्था में महिलाओं की Vagina से कभी भी bleeding नहीं होती लेकिन ectopic pregnancy ऐसी होती है कि इसमें शुरुआत से ही महिलाओं की वेजिना से ब्लीडिंग होती रहती हैं यह ब्लीडिंग कम और ज्यादा मात्रा दोनों में हो सकती हैं। महिलाओं को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि इस प्रकार का लक्षण दिखने पर महिलाओं को तुरंत ही गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर को अपनी हालत के बारे में बताना चाहिए।
ज्यादा पसीना आना
एक्टोपिक प्रेगनेंसी का एक लक्षण यह भी होता है कि एक्टोपिक प्रेगनेंसी वाली महिलाओं को सामान्य महिलाओं से अधिक पसीना आता हैं। अगर मौसम सर्दी का भी है तो भी एक्टोपिक प्रेगनेंसी वाली महिलाओं को काफी ज्यादा पसीना आता है। जबकि सामान्य महिलाओं को पसीना नहीं आता अगर पसीना आ भी रहा हैं, तो बहुत ही कम आता है लेकिन जिन महिलाओं को एक्टोपिक प्रेगनेंसी की समस्या होती है तो उन्हें बहुत ज्यादा पसीना आता हैं।
सिर घूमना
गर्भावस्था के समय सिर घूमना एक आम बात है लेकिन रोजाना ही गंभीर रूप से सिर घूमना यह गर्भावस्था के लक्षणों में शामिल नहीं है जिन महिलाओं में एक्टोपिक प्रेगनेंसी होती हैं, तो उनमें भी यह समस्या होती है कि उनका सिर काफी ज्यादा घूमता है या सिर दर्द होता है। इसलिए इस समस्या को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
सुस्ती और थकान
जिन महिलाओं में एक्टोपिक प्रेगनेंसी होती हैं, तो वह महिलाएं दूसरी महिलाओं की अपेक्षा गर्भावस्था में काफी सुस्त रहती हैं और उनका कुछ काम करने का भी मन नहीं करता अगर वह थोड़ा बहुत काम कर भी लेती हैं तो उन्हें तुरंत ही बहुत ज्यादा थकान हो जाती है जिसकी वजह से उनका उसी समय आराम करने को मन करता हैं। अगर गर्भावस्था के समय महिलाएं हमेशा ही ज्यादा सुस्त और थकी हुई रहती हैं, तो इस परिस्थिति को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
त्वचा पीली पढ़ना
हमने अक्सर यह तो सुना है कि पीलिया होने पर व्यक्ति की त्वचा का रंग काफी पीला पड़ जाता है लेकिन जब महिलाओं में एक्टोपिक प्रेगनेंसी होती हैं, तो उसकी वजह से भी महिलाओं की त्वचा की रंगत पीलिया के मरीजों की तरह ही पीली पड़ जाती हैं। इसीलिए इस समस्या को थोड़ा सा भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और तुरंत ही गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर को इस समस्या के बारे में बताना चाहिए, क्योंकि जब ectopic pregnancy के कारण गंभीर समस्या होने वाली होती हैं, तो उस समय महिलाओं की त्वचा का रंग पीला पड़ रहा होता हैं।
ब्लड प्रेशर कम होना
एक्टोपिक प्रेगनेंसी वाली महिलाओं को गर्भावस्था के साथ ही धीरे-धीरे लो ब्लड प्रेशर की समस्या रहने लगती हैं। अगर इस लो ब्लड प्रेशर की समस्या का इलाज किया भी जाता हैं, तो यह समस्या थोड़े समय के लिए तो ठीक हो जाती है मगर फिर से रहने लगती हैं। इस प्रकार की समस्या को एक्टोपिक प्रेगनेंसी का ही लक्षण माना जाता हैं। इसीलिए इस प्रकार की समस्याओं को बिना नजरअंदाज किए तुरंत ही डॉक्टर की सलाह लें।
मल त्याग करते समय काफी दर्द होना
सामान्य गर्भावस्था के समय महिलाओं को मल त्याग करते समय कभी भी दर्द नहीं होता, मगर जिन महिलाओं में ectopic pregnancy होती है तो उनमें यह समस्या देखी जाती है कि उन्हें मल त्याग करने में काफी परेशानी होती हैं। यहां तक कि मल त्याग करते समय उन्हें बहुत ज्यादा दर्द भी होता है जिसे बर्दाश्त करना हर किसी महिला के बस की बात भी नहीं होती।
एक्टोपिक प्रेगनेंसी की जांच कैसे होती है – Diagnose Of Ectopic Pregnancy In Hindi ?
एक्टोपिक प्रेगनेंसी का इलाज करने के लिए सबसे पहले तो डॉक्टर महिलाओं से इस बीमारी के लक्षणों को पूछता है और फिर उन लक्षणों के हिसाब से डॉक्टर महिलाओं के कई तरह के टेस्ट करते हैं जिसमें ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाऊंड ( transvaginal ultrasound ) भी शामिल होता है और इसके माध्यम से यह देखा जाता है कि बच्चा गर्भाशय में है या नहीं।
इसके अतिरिक्त महिलाओं का ब्लड टेस्ट भी किया जाता है जिसके माध्यम से गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में प्रोजेस्टेरोन ( Progesterone ) तथा एचसीजी स्तर ( HCG Level ) की जांच की जाती है। जिन महिलाओं के गर्भाशय में भ्रूण नजर नहीं आता तो उस समय किए गए ब्लड टेस्ट (Blood Test ) में महिलाओं के शरीर में हार्मोन का स्तर भी कम होता है और यह इस बात का सबूत होता है कि महिलाओं को एक्टोपिक प्रेगनेंसी है।
एक्टोपिक प्रेगनेंसी से किस प्रकार बचा जा सकता हैं – Prevention From Ectopic Pregnancy In Hindi ?
एक्टोपिक प्रेगनेंसी का सबसे बड़ा कारण यह भी होता है कि जो महिलाएं एक से ज्यादा पार्टनर के साथ संबंध बनाती है तो उनमें भी एक्टोपिक प्रेगनेंसी देखी गई हैं। इसीलिए कभी भी अलग-अलग पार्टनर के साथ संबंध नहीं बनाने चाहिए।
महिलाओं को कभी भी शराब यह तंबाकू उत्पाद का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह भी आगे चलकर एक्टोपिक प्रेगनेंसी को बढ़ावा देते हैं।
अगर किसी महिला के पेट के निचले हिस्से में दर्द या पेशाब करते समय दर्द या फिर वेजिना से काफी ज्यादा बदबू आती हैं, तो इस स्थिति में महिलाओं को तुरंत ही गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर से बात करनी चाहिए और अपना इलाज करवाना चाहिए क्योंकि यह आगे चलकर एक्टोपिक प्रेगनेंसी का कारण बनते हैं।
एक्टोपिक प्रेगनेंसी का इलाज क्या हैं – Treatment Of Ectopic Pregnancy In Hindi ?
एक्टोपिक प्रेगनेंसी का पता लगने पर महिलाओं की कीहोल सर्जरी ( keyhole surgery ) की जाती है। यह एक ऐसी सर्जरी होती है जिसमें महिलाओं के पेट में एक छोटा सा चीरा लगाकर पेट के माध्यम से एक डिवाइस को अंदर डाला जाता है और उसे Fallopian Tubes की जांच की जाती हैं। अगर फेलोपियन ट्यूब की जांच के दौरान Ectopic Pregnancy का पता लगता हैं, तो उस समय जिस फेलोपियन ट्यूब में एक्टोपिक प्रेगनेंसी होती है तो उसे काट दिया जाता हैं।
Conclusion –
एक्टोपिक प्रेगनेंसी किन कारणों से होती है तथा एक्टोपिक प्रेगनेंसी के क्या लक्षण होते हैं और किस प्रकार Ectopic Pregnancy से बचा जा सकता है इन सब के बारे में हमने आपको विस्तार से बताया हैं। इसके अतिरिक्त आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमने Symptoms Of Ectopic Pregnancy In Hindi तथा Causes Of Ectopic Pregnancy In Hindi के विषय में जाना हैं। इसके अतिरिक्त हमने What Is Ectopic Pregnancy In Hindi तथा Treatment Of Ectopic Pregnancy In Hindi के बारे में भी विस्तार पूर्वक जाना हैं। अगर अभी भी किसी महिला को कोई प्रश्न पूछना हों, तो वह हमें कमेंट सेक्शन में कमेंट कर सकती हैं। धन्यवाद