Eye Disease in Children’s : जन्म के पश्चात बच्चों की आंखों में होने वाली समस्याएं – जानिए बच्चों की आंखों की देखभाल कैसे करें ?

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Dr. Arti Sharma
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Dr. Arti Sharma is a certified BAMS doctor with at least 2 years of article writing experience on various medication and therapeutic lines. She is known for her best work in ayurvedic medication knowledge and there uses. Her hobbies including reading books and writing articles. With a good grip in sports, she uses to play for her university cricket team as a captain. Her work for ayurvedic is well known.डॉ आरती शर्मा एक प्रमाणित BAMS डॉक्टर है जिन्हे कम से कम 2 साल का विभिन्न दवाइयों और चिकित्सीय रेखाओं पर लेखन का अनुभव है। वह आयुर्वेदिक दवाओं के ज्ञान और उनके उपयोग में अपने बेहतरीन काम के लिए जानी जाती हैं। उनका शौक किताबें पढ़ना और लिखना है। खेलों में अच्छी पकड़ के साथ, वह एक कप्तान के रूप में अपनी विश्वविद्यालय क्रिकेट टीम के लिए खेल चुकी हैं। आयुर्वेद के क्षेत्र में उनका काम अच्छी तरह से जाना जाता है।
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Eye Disease in Children’s : जन्म के पश्चात बच्चों की आंखों में होने वाली समस्याएं – जानिए बच्चों की आंखों की देखभाल कैसे करें ?

आंखें हमारे शरीर का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं। यदि हमारे शरीर में आंखें ही ना हो तो हमारी जिंदगी बिल्कुल बेकार हो जाती हैं, क्योंकि आंखों की सहायता से ही हम अपने आसपास की सभी चीजों को देख पाते हैं और वह सभी काम कर पाते हैं जिससे कि हमारा जीवन चलता है इसलिए आंखों का हमारे जीवन में अहम योगदान होता हैं। इसलिए हमें जन्म से ही अपनी आंखों का खास ख्याल रखना पड़ता है

कुछ नवजात शिशु जब जन्म लेते हैं, तो जन्म के पश्चात ही उनकी Eye Disease in Children’s आंखों में कोई समस्या उत्पन्न हो जाती है जिसकी वजह से वह छोटे बच्चे कुछ देख नहीं पाते या फिर उन्हें साफ दिखाई नहीं देता आज के समय में तो ज्यादातर छोटे छोटे बच्चों को ही चश्मा लग जाते हैं और जब वह 40 से 45 साल की उम्र तक पहुंचते हैं, तो तब तक उनकी आंखें पूरी तरह खराब हो चुकी होती हैं ।

यह सब खराब जीवनशैली के कारण ही होता हैं। यदि हम अपने बच्चों की आंखों का बचपन से ही अच्छी तरह ख्याल रखेंगे, तो फिर उनकी आंखें बढ़ती उम्र के साथ-साथ भी खराब नहीं होंगी और ना ही उन्हें चश्मा लगेगा। आज हम इस पोस्ट के माध्यम से आपको Baby Eye Care Tips In Hindi तथा Bacho Ki Ankho Ki Dekhbhal Kaise Rakhe

इसी के साथ-साथ हम आपको Bacho Ki Aankhe Kharab Hone Ka Karan तथा Home Remedies For Babies Eyes In Hindi भी बताएंगे, ताकि आप अपने बच्चों की आंखों का पूरी तरह से ख्याल रख सकें।

बच्चों की आंखों से संबंधित समस्याएं – Eye Disease in Children’s In Hindi?

जब बच्चे छोटे होते हैं तो उनकी आंखों से संबंधित बहुत सी बीमारियां Eye Disease in Children’s सामने आ सकती हैं जैसे कि

1. निकट दृष्टिदोष ( Myopia )

कई बार ऐसा भी होता है कि जब बच्चे जन्म लेते हैं, तो तभी से ही उनकी पास की दृष्टि काफी कमजोर होती है और वह अपने आसपास की चीजों को बिल्कुल भी साफ नहीं देख पाते आंखों की निकट दृष्टि को इस बीमारी में कॉर्निया तथा लेंस / रेटिना पर ठीक तरह से Focus नहीं कर पाते इसी के कारण बच्चे दूर की चीजें अच्छी तरह नहीं देख पाते जबकि वह पास की चीजों को स्पष्ट रूप से देख लेते हैं।

ज्यादातर बच्चों को इसी प्रकार की बीमारी होती हैं। इस बीमारी को डॉक्टरों की भाषा में मायोपिया भी कहते हैं। आज के समय में हमारे देश में करोड़ों बच्चे इस बीमारी का शिकार है और वह चश्मे के सहारे अपनी जिंदगी जी रहे हैं।

निकट दृष्टि दोष बच्चे को तब होता है जब उसकी आंखों की पुतली थोड़ी लंबी हो जाती है या फिर लाइन से बहुत मोटा हो जाता है जिससे की इमेज / रेटिना पर बनने की बजाय ठीक उसके सामने बनने लगती है और इसीलिए मायोपिया ( Myopia )की समस्या पैदा हो जाती है।

बच्चों की आंखों से संबंधित समस्याएं - Eye Disease in Children's In Hindi?

2. दूर दृष्टिदोष ( Hypermetropia )

जब बच्चे दूर दृष्टि दोष से पीड़ित हो जाते हैं, तो वह पास की वस्तुओं को ध्यान से देखने पर भी साफ नहीं देख पाते, लेकिन दूर दृष्टि दोष बीमारी में दूर की चीजें पूरी तरह साफ दिखती हैं बस पास की चीजें ही साफ नहीं दिखती। यह बीमारी तब होती है जब बच्चे की आंखों की पुतली काफी छोटी हो जाती है या फिर लेंस बहुत पतला हो जाता है इसी के कारण इमेज / रेटिना के पीछे बनने लगती है और बच्चों को पास का धुंधला दिखने लग जाता हैं।

इस बीमारी का भी इलाज डॉक्टरों के द्वारा बच्चे को चश्मा देकर किया जाता है, चश्मे की सहायता से बच्चा अपनी पास की चीजों को अच्छी तरह से देख पाता हैं।

3. एम्बलायोपिया ( Amblyopia )

इस बीमारी को लेजी आई ( Lazy Eye ) के नाम से भी जाना जाता हैं। यह एक प्रकार का Vision Development Disorder होता है जिसमें बच्चों की आंखों में देखने की सामान्य क्षमता विकसित नहीं हो पाती और इस बीमारी की सबसे बेकार बात यह है कि इस बीमारी में चश्मे या Contact Lenses का इस्तेमाल करने के पश्चात भी दृष्टि सामान्य नहीं हो पाती।

इस प्रकार की बीमारी नवजात शिशु को या फिर छोटी उम्र में बच्चों को हो सकती है ज्यादातर बच्चों में तो यह समस्या एक आंख में ही होती है, लेकिन इस बीमारी का उपचार 8 वर्ष की आयु से पहले-पहले करवा देना चाहिए। क्योंकि यदि आपका बच्चा 8 वर्ष की आयु से ज्यादा हो जाए तो फिर इस बीमारी का इलाज कर पाना काफी मुश्किल हो जाता हैं, क्योंकि जब तक यह बीमारी बच्चों की आंखों को पूर्ण रूप से क्षति पहुंचा चुकी होती है।

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4. स्ट्राबिस्मस ( Strabismus )

यह एक प्रकार की आंखों से संबंधित समस्या है जिसमें बच्चा जब किसी भी वस्तु को देखता हैं, तो उस वस्तु को देखते वक्त उसकी आंखों की Alignment ठीक से नहीं होती इस बीमारी को आम भाषा में भेंगापन भी कहा जाता है। जब बच्चा किसी वस्तु को देख रहा होता हैं, तो उसकी आंखें दूसरी तरफ ही होती हैं और वह देख कहीं और रहा होता है

वैसे तो आज के समय में इस बीमारी का इलाज Surgery के द्वारा आ कर दिया जाता है या फिर बच्चों को इस प्रकार की चश्मे भी दे दिए जाते हैं, जो कि धीरे-धीरे इस आंखों की बीमारी का इलाज कर देते हैं आपने अपने आसपास भी बहुत से ऐसे बच्चे या बड़े लोग देखे होंगे जिन्हें इस प्रकार की बीमारी हैं। वह अक्सर देख कहीं और रहे होते हैं और बोल कर रहे होते हैं यह सिर्फ उनकी आंखों के एलाइनमेंट ठीक ना होने की वजह से ही होता हैं।

5. ल्यूकोकोरिया ( Leukocoria )

इस प्रकार की बीमारी में नवजात शिशु की आंखों की पुतलियां बिल्कुल सफेद दिखाई देती हैं। यह इस वजह से होता है क्योंकि कुछ बच्चे जब जन्म लेते हैं, तो तभी से ही वह मोतियाबिंद का शिकार हो जाते हैं और मोतियाबिंद में आंखों का प्राकृतिक लेंस बिल्कुल क्लाउडी ( Cloudy ) हो जाता है

जिसकी वजह से बच्चे की आंख की पुतली सफेद दिखती है। इस बीमारी का इलाज डॉक्टरों के द्वारा बिल्कुल संभव हैं। यदि आप समय पर अपने बच्चे की आंखों की surgery करवा लें, तो इस बीमारी का इलाज बड़ी ही आसानी से किया जा सकता हैं। कई मामलों में ऐसा भी पता चला है की पुतलियों के सफेद होने का कारण आंखों में कैंसर का लक्षण भी हो सकता है। इस प्रकार के कैंसर को Retinoblastoma भी कहा जाता हैं।

बच्चों में आंखों से संबंधित बीमारी के लक्षण – Symptoms of Eye Disease in Children’s In Hindi ?

यदि आपके बच्चे को आंखों से संबंधित बीमारी हैं Eye Disease in Children’s, तो आप बहुत से लक्षणों के माध्यम से आसानी से पहचान सकते हैं कि, आपके बच्चे को आंखों से संबंधित बीमारी है जैसे कि :-

  • अगर आपका बच्चा बार-बार आंखें बंद करके और आंखें हल्की सी बंद करके देखने की कोशिश कर रहा हैं, तो यह भी आंखों से संबंधित बीमारी का लक्षण हो सकता हैं।
  • अगर आपका बच्चा काफी जोरों से अपनी आंखों को बार-बार रगड़ता है और लगातार अपने सामने की आस पास की चीजों को देखने की कोशिश करता हैं, तो यह भी आंखों से संबंधित बीमारी का लक्षण हैं।
  • अगर आपका बच्चा पढ़ते वक्त या फिर टीवी देखते समय अपनी एक आंख को बंद करता है या फिर अपना सिर काफी ज्यादा नीचे झुका कर फिर पढ़ने की कोशिश करता है या फिर पास जाकर टीवी देखने की कोशिश करता हैं, तो यह भी आंखों से संबंधित बीमारी का लक्षण हो सकता है।
  • अगर आपका बच्चा मोबाइल फोन देख रहा है या फिर कंप्यूटर पर कुछ काम कर रहा है और वह स्क्रीन के बिल्कुल ही पास जाकर इन चीजों को देख रहा हैं, तो यह भी Eye Disease से संबंधित बीमारी के ही लक्षण हैं।
  • अगर आपका बच्चा छोटा है और उसकी आंखों से पूरा दिन पानी चलता रहता हैं। यदि आप आंखों को सांप भी करते हैं तो भी उसकी आंखों से बार-बार पानी निकलता है, तो यह भी आंखों से संबंधित बीमारी का ही लक्षण हैं।
  • अगर बच्चों की आंखें बार-बार लाल हो जाती हैं, तो यह भी Eye Disease आंखों से संबंधित बीमारी के ही लक्षण है।
  • अगर आपके बच्चे के सिर में काफी ज्यादा दर्द होता हैं, तो यह भी Eye Disease आंखों से संबंधित बीमारी के लक्षण होते हैं, क्योंकि संबंधित बीमारियों के शुरुआती लक्षण मस्तिष्क से ही शुरू होते हैं और उसी के कारण सिर में काफी ज्यादा दर्द रहता हैं, क्योंकि बच्चे की आंखों पर काफी ज्यादा जोर पड़ता है किसी के कारण सिर दर्द रहने लगता हैं।
  • अगर आपका बच्चा दूसरे बच्चों की अपेक्षा काफी ज्यादा पलकें झपकाता हैं, तो इस लक्षण को भी आप को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह लक्षण भी Eye Disease आंखों की बीमारी का शुरुआती लक्षण हो सकता है।
किन कारणों से बच्चों की आंखें खराब हो सकती हैं - What Can Cause Bad Eyesight in Children In Hindi ?
  • अगर आपके बच्चे की पास या दूर की नजर कमजोर हैं, तो उसके कारण कई बार वह आपकी बातों को भी अनदेखा कर सकता हैं। बहुत बार ऐसा होता है कि आप उसको कोई चीज दिखा रहे होंगे लेकिन वह उस चीज को बार बार देखा अनदेखा करेगा, अगर आपके बच्चे को इस प्रकार के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो आपको बिल्कुल भी देर नहीं करनी चाहिए और अपने बच्चे को आंखों के डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।

किन कारणों से बच्चों की आंखें खराब हो सकती हैं – What Can Cause Bad Eyesight in Children In Hindi ?

ऐसे ही बहुत से कारण हैं जिनकी वजह से आपके बच्चों की आंखें काफी जल्दी ही खराब हो सकती हैं, अगर आप इन कारणों पर थोड़ा सा भी ध्यान दें तो फिर आप अपने बच्चों की आंखों को खराब होने से बचा सकते हैं जैसे कि :-

1. मोबाइल फोन का अधिक इस्तेमाल

 अगर छोटे बच्चे मोबाइल फोन का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं, तो उसके कारण भी उनकी आंखें काफी जल्दी ही खराब हो जाती हैं। आज के समय में बहुत से माता-पिता अपने बच्चों को व्यस्त रखने के लिए उन्हें मोबाइल फोन में कोई भी वीडियो लगा कर दे देते हैं और वह देखते रहते हैं। हम आपको बता दें कि मोबाइल फोन की डिस्प्ले से निकलने वाली रोशनी बच्चों की आंखों के लिए बिल्कुल भी सही नहीं होती, इसीलिए सबसे पहले तो आपको अपने बच्चों की इस गंदी आदत को छुड़वाना होगा।

2. आंखों को साफ ना करना

बहुत से बच्चे दिनभर धूल मिट्टी में खेलते हैं और शाम को वह अपनी आंखों को बिना ही साफ किए ऐसे ही सो जाते हैं। इस प्रकार भी बच्चों की आंखें काफी जल्दी खराब हो सकती हैं। इसीलिए आपको अपने बच्चों को ऐसी आदत डालनी चाहिए कि यदि वह कहीं भी बाहर जाते हैं, तो सबसे पहले घर पर आने के पश्चात वे अपनी आंखों को ठंडे पानी से धोएं। यदि आपके बच्चे रोज रात के समय या दिन में 2 से 3 बार अपनी आंखों को ठंडे पानी से धोते हैं, तो इस प्रकार भी उनकी आंखें बीमारियों से बची रहती हैं।

3. हाथ ना धोना

बहुत से बच्चों को यह आदत होती है कि वह दिनभर खेलते कूदते हैं हैं और फिर वही गंदे हाथ अपनी आंखों पर लगाते हैं या फिर उन्हीं गंदे हाथों से अपनी आंखों को मचलना शुरू कर देते हैं। आपको पता होना चाहिए कि जब आपके बच्चे दिल भर खेलते हैं , तो उनके हाथों में बहुत से बैक्टीरिया लगे होते हैं और जब वह बिना हाथों को धोए उन्हें आंखों पर लगा देते हैं, तो उनके हाथों पर मौजूद बैक्टीरिया उनकी आंखों में पहुंच जाते हैं और इस प्रकार वह उन बच्चों की आंखों को पूरी तरह से नुकसान पहुंचा देते हैं जिसकी वजह से बच्चों को आंखों का संक्रमण या फेस एलर्जी भी हो सकती हैं।

4. पोषक तत्वों की कमी

अगर आपके बच्चे के शरीर में पोषक तत्व की कमियां हैं, तो उन पोषक तत्व की कमियों के कारण भी आपके बच्चे की आंखें खराब हो सकती हैं। इसीलिए आपको अपने बच्चे के खाने पीने का भी पूरा ध्यान रखना पड़ता है क्योंकि स्वस्थ आंखों को एक स्वस्थ भोजन की आवश्यकता भी पड़ती हैं, क्योंकि भोजन के माध्यम से ही आंखों को वह अभी पोषक तत्व मिल पाते हैं जो कि उन्हें स्वस्थ रहने के लिए चाहिए ।

5. तेज रोशनी से

जब आपका बच्चा जन्म लेता हैं, तो शुरुआत के 1 साल तक आपको अपने बच्चे को तेज रोशनी से भी बचाना पड़ता है जिस कमरे में आपको बच्चे को सुलाते हैं अगर उस कमरे में तेज रोशनी वाला बल्ब हैओ, तो उसके कारण भी बच्चे की आंखों को नुकसान पहुंच सकता हैं। यदि बचपन में आप सारा दिन बच्चे के सामने वह लाइट जला कर रखते थे तो उसके कारण बच्चे की आंखों का खराब होना संभव है।

इसीलिए बचपन में बच्चों को तेज रोशनी से बचा कर रखा जाता है, ताकि उनकी आंखें सही रहे बच्चों को इस बात का नहीं पता होता कि तेज रोशनी से उनकी आंखें खराब हो सकती हैं। इसीलिए वह तेज रोशनी दिखने पर उसी की तरफ देखते रहते हैं।

6. काफी करीब से पढ़ना

अगर आपके बच्चे पढ़ते वक्त किताबों को आंखों के बिल्कुल पास रखते हैं, तो उसकी वजह से भी उनकी आंखें खराब हो सकती हैंं, इसीलिए डॉक्टर बिल्कुल पास से किताबें पढ़ने की सलाह नहीं देते।

7. कई घंटों तक लगातार टीवी देखने पर

बचपन में सभी बच्चों को टीवी में कार्टून देखने का बहुत शौक होता हैं। इसीलिए वह सारा दिन टीवी देखते रहते हैं अगर आपका बच्चा टीवी को बहुत ही पास से देखता है और लगातार ही 3 से 4 घंटे तक टीवी देखता रहता हैं, तो उसके कारण भी आपके बच्चे की आंखें काफी जल्दी खराब हो सकती हैं। इसीलिए एक्सपर्ट्स के मुताबिक भी ऐसा कहा जाता है कि, बच्चे को टीवी हमेशा 10 फुट की दूरी से देखना चाहिए तभी बच्चे की आंखें स्वस्थ रह सकती हैं।

8. बचपन में चोट लगने पर

कहीं बाहर खेलते-कूदते वक्त बच्चों के सिर पर चोट लग जाती है जिसकी वजह से उनकी आंखों की नसें कमजोर हो सकती हैं और उनकी दूर की दृष्टि या पास की दृष्टि कमजोर हो सकती हैं। इसीलिए आपको अपने बच्चों का खेलते-कूदते समय काफी ख्याल रखना पड़ता है ताकि उन्हें चोट ना लगे।

बच्चों की आंखों का ख्याल कैसे रखें - How to Take Care of Children's Eyes In Hindi ?
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बच्चों की आंखों का ख्याल कैसे रखें – How to Take Care of Children’s Eyes In Hindi ?

अगर आप अपने बच्चों की आंखों का ख्याल रखना चाहते हैं, तो आपको बहुत सी चीजों का ख्याल रखना पड़ेगा जैसे कि :-

  • अपने बच्चों को बचपन से ही मोबाइल फोन या कंप्यूटर आदि का इस्तेमाल ज्यादा ना करने दें, क्योंकि मोबाइल फोन तथा कंप्यूटर की स्क्रीन से निकलने वाली रोशनी बच्चों की आंखों के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं होती।
  • आपको अपने बच्चों को रोजाना 7 से 8 गिलास पानी पिलाने चाहिए। यदि आपके बच्चे अधिक से अधिक पानी पीते हैं, तो इसके कारण उनकी आंखों में नमी और ताजगी हमेशा बनी रहती है और फिर वह आंखों से संबंधित कई प्रकार की बीमारियों से भी बचे रहते हैं।
  • आपको अपने बच्चों को कभी भी अंधेरे में टीवी नहीं देखने देना चाहिए या फिर अपने बच्चों को कभी भी ज्यादा पास से टीवी नहीं देखने देना चाहिए, क्योंकि इन दोनों ही तरीकों से बच्चों की आंखों को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचता है जिसकी वजह से काफी जल्दी आंखें खराब हो जाती हैं और फिर उन्हें चश्मे के सहारे जिंदगी गुजार में पढ़ती हैं।
  • आपको अपने बच्चों को अच्छी तरह से सुलाना चाहिए। यदि आपके बच्चे अच्छी तरह से नींद नहीं लेंगे, तो उसके कारण भी उनकी आंखें खराब हो सकती हैं। खास तौर पर जिन बच्चों का सोने और उठने का समय निर्धारित नहीं होता तो इस प्रकार के बच्चों की आंखें काफी जल्दी खराब हो जाती हैं।
  • अगर आपके बच्चे झुककर या लेटकर कर पढ़ते हैं, तो इस प्रकार की उनकी आंखें काफी जल्दी खराब होती हैं। इसलिए आपको अपने बच्चों को कभी भी इस प्रकार पड़ने देना नहीं चाहिए। आपको उन्हें हमेशा ही टेबल या कुर्सी पर बैठकर पढ़ने के लिए कहना चाहिए, इस प्रकार उनकी आंखें बिल्कुल सही रहती हैं।
  • अपने बच्चों को लगातार 3 से 4 घंटे पढ़ने के लिए ना करें, क्योंकि लगातार 3 से 4 घंटे आंखों का ज्यादा इस्तेमाल करने के कारण भी बच्चों की आंखें काफी जल्दी खराब हो सकती हैं। इसलिए आपको बीच-बीच में अपने बच्चों को आंखों को आराम देने के लिए कहना चाहिए, क्योंकि बच्चे अपनी आंखों को बचपन में ही आराम दे सकते हैं।
  • अपने बच्चों को तेज रोशनी में बैठकर ना पढ़ने दे या फिर जिस कमरे में बच्चे सोते हैं, उस कमरे में तेज रोशनी वाला बल्ब नहीं होना चाहिए।
  • जब आपके बच्चे पढ़ते हैं, तो पढ़ते समय उनकी किताब कम से कम 1 फुट की दूरी पर होनी चाहिए। इस प्रकार उनकी आंखें हमेशा ही स्वस्थ बनी रहती हैं।
  • आपको अपने बच्चों को सुबह और शाम पार्क में घूमने के लिए भी ले जाना चाहिए। यदि आपके बच्चे सुबह शाम पार्क में जाकर हरे रंग के पेड़ पौधे देखते हैं, तो इस प्रकार भी आंखें बिल्कुल स्वस्थ रहती हैं और आंखों की देखने की क्षमता भी बढ़ती हैं।
  • आपको अपने बच्चों की आंखों की समय-समय पर जांच करवाते रहना चाहिए। बहुत बार ऐसा होता है कि, आपने 1 महीने पहले ही बच्चे की आंखों की जांच कराई है और उसके पश्चात यदि आप 6 महीने बाद जांच कराएंगे, तो उस वक्त तक बच्चे की आंखें ज्यादा खराब हो चुकी होती हैं। इसीलिए हर एक महीने बाद बच्चे की आंखों की जांच कराएं। इस प्रकार भी आप अपने बच्चे को आंखों से संबंधित बीमारियों से आसानी से बचा सकते हैं।

Conclusion –

छोटे बच्चों की आंखों का ख्याल किस प्रकार रखना चाहिए और किन-किन चीजों का ख्याल आपको रखना चाहिए इन सब के बारे में हमने आपको बता दिया हैं। इस पोस्ट को पढ़ने के पश्चात आप अपने बच्चों की आंखों का काफी अच्छे से ख्याल रख पाएंगे, क्योंकि आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमने Baby Eye Care Tips In Hindi तथा Bacho Ki Ankho Ka Dekhbhal Kaise Rakhe इसके बारे में जाना हैं।

इसी के साथ-साथ हमने आपको Bacho Ki Aankhe Kharab Hone Ki Karan तथा Home Remedies For Babies Eyes In Hindi के बारे में भी बताया हैं। अब यदि आपको हमसे Bacho Ki Ankho Ka Khayal Kaise Rakhe के बारे में कोई भी सवाल पूछना हों, तो कमेंट सेक्शन में कमेंट करें। धन्यवाद

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