- Filaria या हांथीपाँव क्या है इसके कारण लक्षण और इलाज | What is Filaria (Filariasis) Its Causes, Symptoms and Treatment in Hindi
- Filaria Kya Hai – What Is Filaria In Hindi?
- Filaria Ke Prakar – Types Of Filaria In Hindi?
- Filaria Ke Karan – Causes Of Filaria In Hindi?
- Filaria Ke Lakshan – Symptoms Of Filaria In Hindi?
- Filaria ka ilaj – Treatment Of Filaria ( Filariasis ) In Hindi?
- Filaria Me Kya Khana Chaiye – Filaria Diet In Hindi?
- फाइलेरिया बीमारी से कैसे बचें – Prevention Tips for Filaria in Hindi?
- Filaria Conclusion –
Filaria या हांथीपाँव क्या है इसके कारण लक्षण और इलाज | What is Filaria (Filariasis) Its Causes, Symptoms and Treatment in Hindi
वैसे तो बहुत सी ऐसी खतरनाक बीमारियां हैं जिनका आज के समय में भी वैज्ञानिकों के पास कोई इलाज नहीं है और यह बीमारियां कुछ ऐसी हैं, जो कि मरीजों की जिंदगी बदल कर रख देती हैं परंतु किस प्रकार की बीमारियों को हम नियंत्रण में जरूर कर सकते हैं, आज आपको एक ऐसी बीमारी के बारे में बताने वाले हैं जोकि बहुत ही कम लोगों में देखी जाती है परंतु आपने यह बीमारी किसी ना किसी व्यक्ति में तो अपने जीवन में जरूर देखी होगी और इस बीमारी का नाम है Filaria इस बीमारी के रोगी का एक पैर बहुत ही ज्यादा सूज जाता है, जिसको हाथी पांव के नाम से भी जाना जाता है
यह एक ऐसी बीमारी है जिसको अगर हम शुरुआत में नियंत्रण कर ले तो यह नियंत्रण हो जाती है, परंतु अगर यह एक बार अपना भयानक रूप ले ले तो फिर इस बीमारी को नियंत्रण में रख पाना बहुत ही कठिन है।
आज हम इस बीमारी के रोगियों के लिए यह पोस्ट लेकर आए हैं, आज इस पोस्ट के माध्यम से आप जानेंगे कि Filaria Kya Hota Hai और Filaria Ke Lakshan in Hindi? Causes Of Filariasis In Hindi? Filaria Thik Karne Ke Upay? Filaria Ko Thik Karne Ke Upay? Filaria Ke Gharelu Upchar? Hathi Pav Kaise Hota Hai? Hathi Pav Ka ilaz? Hathi Pav Rog Kya Hai? Home Remedies For Filaria In Hindi? यदि आप इन सभी सवालों के जवाब अच्छे से जानना चाहते हैं, तो हमारी पोस्ट को आखिर तक पढ़ते रहिएगा तो चलिए अब हम जानते हैं Hathi Pav Ka ilaj In Hindi

Filaria Kya Hai – What Is Filaria In Hindi?
Filaria एक शारीरिक बीमारी है, जिसे हाथी पांव भी कहते हैं। इस बीमारी को अंग्रेजी में Filaria और Elephantiasis भी कहते हैं। Filaria या हाथी पांव की बीमारी से पीड़ित सबसे अधिक लोगों की संख्या भारत में ही हैं। Filaria बीमारी का संक्रमण आपको आमतौर से बचपन में हो सकता है। परंतु इस बीमारी के गंभीर लक्षण आपको सात से आठ साल की उम्र में दिखाई दे सकते हैं।
इसे फीलपांव और श्लीपद भी कहा जाता हैं। वैसे सामान्य तौर पर उष्णकटिबंधीय ( Tropical ) देशों में इस बीमारी के मरीजों की संख्या बहुत अधिक पाई जा सकती है। Filaria बीमारी परजीवी (Parasitic) निमेटोड ( Nematode ) कीड़ों के काटने से होता है जो की छोटे धागों के जैसे दिखाई देते हैं।
Filaria बीमारी Filaria-Wuchereria Bancrofti , ब्रूगिआ मलाई और ब्रूगिआ टिमोरि नामक Nematode insects के कारण होती है। इनमें से सबसे बड़ा कारण Wuchereria Bancrofti नाम के Parasite को माना जा सकता है। हाथी पांव की वजह से विकलांगता और कुरूपता की समस्या आपको हो सकती है। Ministry of Health and Family Welfare के रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में इस बीमारी के मरीजों की बढ़ती संख्या को नियंत्रण करने के लिए सरकार के द्वारा सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों की शुरुआत भी की गई है, जोकि लगभग 40 करोड़ से ज्यादा लोगों को Filaria से बचाने के लिए मुफ्त में दवा प्रदान करता है।
अगर हम रिपोर्ट की बात माने, तो आज के समय में हमारे देश में 2.3 करोड़ से भी अधिक लोगों को इस बीमारी की समस्या है। जबकि अभी भविष्य में भी लगभग 50 करोड लोगों को इस बीमारी के होने का खतरा बना हुआ है। फाइलेरिया बीमारी के बहुत से प्रकार हैं आगे हम आप को उनके बारे में बताते हैं।
Filaria Ke Prakar – Types Of Filaria In Hindi?
फाइलेरिया मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं अब हम आपको इनके बारे में विस्तार से बताते हैं :-
लिम्फेटिक फाइलेरिया (Lymphatic filariasis) :
यह Filaria का सबसे आम प्रकार है, जो Wuchereria bancrofti, Brugia malayi तथा Brugia Timori नाम के परजीवियों ( Parasites ) की वजह से होता है। यह कीड़े Lymph Nodes सहित Lymphatic System को काफी ज्यादा प्रभावित करते हैं। लिम्फेटिक फाइलेरिया को Elephantiasis भी कहा जाता है।
सबक्यूटेनियस फायलेरियासिस (Subcutaneous filariasis) :
यह फाइलेरिया, लोआ लोआ, Mansanella Streptocerca और ओन्कोसेरका वॉल्वुलस Onchocerca Volvulus नामक Parasites के कारण भी हो सकता है। यह हमारी त्वचा की निचली परत को ही प्रभावित करता है।
सीरस कैविटी फाइलेरिया (Serous Cavity Filariasis) :
यह भी Filaria का ही एक प्रकार है, परंतु इसके लक्षण कई करोड़ व्यक्तियों में से किसी एक व्यक्ति में देखे जाते हैं।
Note : हमने आपको ऊपर फाइलेरिया के दो प्रकार (Subcutaneous और Serous Cavity Filariasis) दुर्लभ हैं। इनके विषय में वैज्ञानिकों के पास ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है। वहीं, Lymphatic filariasis सबसे आम प्रकार का फाइलेरिया है। इसलिए हमारे इस आर्टिकल में आपको लिम्फेटिक फाइलेरिया के विषय में विस्तार से बताया गया है।

Filaria Ke Karan – Causes Of Filaria In Hindi?
जैसा कि हमने आपको बताया कि फाइलेरिया रोग कीड़ों के काटने के कारण होता है, अब आगे हम आपको उनकी गणों के नाम बताएंगे जिनकी वजह से यह रोग आपको हो सकता है :-
- बैन्क्रॉफ्टी (Wuchereria Bancrofti)
- ब्रुगिया मलाई (Brugia Malayi)
- ब्रुगिया टीमोरि (Brugia Timori)
- मैनसोनेल्ला (Mansonella)
- ओन्कोसेरका वॉल्वुलस (Onchocerca volvulus)
अब यह जानकर आप के मन में यह सवाल तो जरूर आ रहा होगा, कि हमें शुरुआत में किस प्रकार पता लगेगा कि हमें यह बीमारी है चलिए अब हम आपको Filaria Ke Lakshan In Hindi विस्तार से बता देते हैं, ताकि आपको इस बीमारी के बारे में पता चल सके और आप समय रहते इसका इलाज करा सके।
Filaria Ke Lakshan – Symptoms Of Filaria In Hindi?
अब हम आपको Filariasis Ke Lakshan बता देते हैं, ताकि आप ज्यादा परेशानी होने से पहले ही अपना इलाज अच्छे से करा सकें :-
यदि आपको बार बार बुखार हो रहा है तो यह भी सी बीमारी का लक्षण है, बार बार बुखार होने का मतलब यह है कि यदि आप को बुखार है और आप दवाई लेते हैं तो उसके कुछ घंटो तक आप सही रहते हैं, उसके पश्चात आपको फिर से बुखार हो जाता है तो इस परिस्थिति में एक बार आपको किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
अंगूर तथा जनन अंगों और स्तनों पर सूजन आना भी फाइलेरिया के ही लक्षण है, क्योंकि इस बीमारी में अक्सर आपके अंगों पर सूजन आ जाती है।
अंडकोष में सूजन आना भी फाइलेरिया बीमारी का लक्षण है।
यदि आपके हाथों और पैरों में कुछ ज्यादा ही सूजन आ रही है जिसके कारण वह कुछ ज्यादा ही मोटे हो रहे हैं, तो यह भी फाइलेरिया का ही लक्षण है इसीलिए आपको इस प्रकार के लक्षण दिखने पर तुरंत फाइलेरिया की जांच करानी चाहिए, क्योंकि शुरुआत में यह बीमारी नियंत्रित की जा सकती है, परंतु यदि कुछ देर हो जाती है तो फिर इस बीमारी का इलाज मुश्किल हो जाता है, कभी-कभी तो ऐसा भी होता है, कि हमें इस बीमारी का कोई लक्षण ही नहीं दिखते परंतु हाथ पैर में सूजन जरूर दिख जाती है।
यदि आप काफी लंबे समय तक उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में रहते हैं तो उस कारण भी आपको फाइलेरिया बीमारी होने का खतरा बहुत ही अधिक बढ़ जाता है, क्योंकि इस बीमारी को फैलाने वाले कीड़े उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में ही पाए जाते हैं, या फिर जो लोग उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों की यात्रा अक्सर करते रहते हैं तो उन्हें भी खतरा हो सकता है।
Filaria ka ilaj – Treatment Of Filaria ( Filariasis ) In Hindi?
अब हम आपको Filaria Ka ilaj बताएंगे, जिनके द्वारा यह है बीमारी ठीक की जा सकती है:-
Antiparasitic Treatment –
जैसा कि हमने आपको इस आर्टिकल में बताया ही है कि फाइलेरिया की बीमारी निमेटोड नाम के कीड़े के कारण होती है, अब ऐसे में इस बीमारी को ठीक करने के लिए एंटीपैरासाइटिक उपचार ( Antiparasitic Treatment ) ही किया जाता है, इस बीमारी में डॉक्टर जाकर मरीजों को जो दवाइयां देते हैं हम आपको नीचे बताते हैं।
- एल्बेंडाजोल (Albendazole)
- आइवरमेक्टिन (Ivermectin)
- डॉक्सीसायक्लिन (Doxycycline)
- डायथिलकारबामैजिन साइट्रेट (DEC-डीईसी)
Note : यह वे दवाइयां है जो डॉक्टर ज्यादातर इस बीमारी में आपको देते हैं, परंतु आप खुद से ही इस बीमारी के लक्षण दिखने पर यह दवाई ना खाएं, परंतु इस बीमारी के लक्षण दिखने पर पहले किसी अच्छे डॉक्टर की सलाह ले और उसकी सलाह लेने के पश्चात इन दवाइयों का सेवन करें क्योंकि और भी बहुत सी बीमारियां होती हैं, जिनके लक्षण इस बीमारी से मिलते जुलते होते हैं, तो इसीलिए जल्दबाजी में अपना शरीर खराब ना करें।
सर्जरी
जब फाइलेरिया की बीमारी पर नियंत्रण नहीं रहता तो उस परिस्थिति में ज्यादातर डॉक्टर आपको सर्जरी करवाने के लिए ही बोलते हैं, परंतु सर्जरी करवाने से यह बीमारी ठीक होगी उसके चांस सिर्फ 30 से 40% ही है।
क्योंकि जब यह बीमारी भयानक रूप ले लेती है तो उस समय यह बीमारी बिल्कुल बेकाबू होने लगती है, सर्जरी करवाने पर आपको कुछ दिन तो ऐसा लगता है कि आप ठीक हो गए परंतु धीरे-धीरे आप उसी परिस्थिति में आने लगते हैं, इसीलिए आप इस बीमारी के शुरुआती लक्षणों पर ध्यान देकर उसी समय डॉक्टरों की सलाह लेकर इस बीमारी को खत्म करें वही आपके लिए बेहतर होगा।
Filaria Me Kya Khana Chaiye – Filaria Diet In Hindi?
अब हम आपको यह बताएंगे कि फाइलेरिया बीमारी होने पर आपको किस प्रकार का खाना खाना चाहिए :-
हरी सब्जियों का सेवन करें
इस बीमारी के लक्षण दिखने पर आपको हरी सब्जियों का सेवन तथा दालों का सेवन करना चाहिए। क्योंकि इनमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं जो कि हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
और यदि हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होगी तो उसके कारण हमारे शरीर में होने वाली बीमारी के साथ हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता खुद ही लड़ लेंगी, इसीलिए हरी सब्जियों का सेवन जरूर करें।
तरल पदार्थों का सेवन ज्यादा करें
इस बीमारी के लक्षण दिखने पर आपको तरल पदार्थों का सेवन ज्यादा करना चाहिए तरल पदार्थ जैसे कि यदि आपके घर में सब्जी बनती है, तो आपको पानी वाली सब्जी ज्यादा खानी चाहिए और इसके अतिरिक्त आपको दिन में दो से तीन बार मौसमी का जूस पीना चाहिए, इसके अतिरिक्त आप अनार का जूस भी पी सकते हैं।
ज्यादा तला हुआ खाना है मसालेदार खाना ना खाएं
हमारी कलेक्शन देखने पर आपको तला हुआ खाना बिल्कुल छोड़ देना चाहिए, और ज्यादा मसालेदार खाना भी नहीं खाना चाहिए। क्योंकि तला हुआ खाना और मसालेदार खाना हमारी सेहत के लिए अच्छा नहीं होता, यह इस प्रकार की बीमारियों में हमें काफी नुकसान पहुंचाता है तथा बीमारी को आगे बढ़ने में बढ़ावा देता है।
धूम्रपान तथा शराब का सेवन ना करें
यदि आपको इस बीमारी के कोई भी लक्षण अपने शरीर में दिख रही हैं, तो आपको धूम्रपान और शराब का सेवन बिलकुल छोड़ देना चाहिए, क्योंकि धूम्रपान करने से हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और यदि हम ज्यादा शराब पीते हैं, तो उसके कारण भी हमारे शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है तो इसीलिए शराब तथा धूम्रपान का परहेज रखें।

फाइलेरिया बीमारी से कैसे बचें – Prevention Tips for Filaria in Hindi?
जैसा कि ऊपर हमने आपको बताया ही है कि यह मच्छरों तथा खून चूसने वाले कीड़ों के कारण होता है, तो इसीलिए जितना हो सके उतना स्वयं को उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में जाने से रोके।
शाम के समय यदि आप घर से बाहर जाते हैं या फिर घर में ही हैं, तो आपको पूरे कपड़े पहनने चाहिए और अपने हाथों और पैरों को अच्छी तरह ढक कर रखना चाहिए।
जब भी आते हैं तो सोने से पहले या तो मच्छरदानी का इस्तेमाल करें, या फिर मच्छरों से बचने के लिए Allout या फिर Mortin का इस्तेमाल करें ताकि आपको मच्छरों का खतरा ना हो।
आपको हर 2 महीनों के बाद अपने शरीर की अच्छे से जांच करानी चाहिए, क्योंकि शरीर की जांच कराने से हमें पता लग जाता है कि हमें कोई बीमारी है या फिर नहीं है, और यदि कोई बीमारी होती है तो हम उसको शुरुआत में ही पकड़ लेते हैं जिसके कारण हम उस पर नियंत्रण कर सकते हैं। तो अब हमने आपको Hathi Pav Se Bachne Ke Upay भी बता दिए हैं, ताकि आप इस तरह की बीमारी से बस सके।
Filaria Conclusion –
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारी यह पोस्ट बहुत ही पसंद आई होगी इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको बताया है कि Filaria Kya Hota Hai और Filaria Ke Lakshan in Hindi? Causes Of Filariasis In Hindi? Filaria Thik Karne Ke Upay? Filaria Ko Thik Karne Ke Upay? Filaria Ke Gharelu Upchar? Hathi Pav Kaise Hota Hai? Hathi Pav Ka ilaz? Hathi Pav Rog Kya Hai? Home Remedies For Filaria In Hindi? यदि अब भी आपको इस बीमारी से संबंधित कोई भी प्रश्न हम से पूछना हो तो आप कमेंट सेक्शन के माध्यम से पूछ सकते हैं। धन्यवाद